उत्तर प्रदेश। भारतीय जनता पार्टी (BJP) मिशन 2022 सत्ता दोहराने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है। इसी के तहत अब उसने समाजवादी पार्टी के गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में भगवा लहराने की फिराक में लग गयी है। इसी लिहाज से 13 नवंबर को आजमगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय की नींव भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाथों रखी जा रही है। हालांकि, आजमगढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए अधिक फायदे मंद नहीं रहा है।
यहां पर मोदी लहर के बाद भी 2017 में समाजवादी पार्टी ने 10 में से 5 सीटें जीती थी, जबकि BJP को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा था। शेष BSP के खाते में गयी थी। समाजवादी पार्टी के इस मजबूत किले को BJP इस बार किसी प्रकार तोड़ना चाहती है। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य अमित शाह खुद यहां पर 13 नवम्बर को रैली करेंगे। अमित शाह बीते हफ्ते लखनऊ प्रवास के दौरान योगी सरकार के मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर सियासी माहौल भांपने के पश्चात अब वह अपना रूख पूर्वांचल की ओर किया है।
यहां पर वह समाजवादी पार्टी के मजबूत दुर्ग आजमगढ़ और प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों के साथ मीटिंग कर 2022 की चुनावी रणनीति बनाएंगे। BJP के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि आजमगढ़ SP का मजबूत गढ़ रहा है। मोदी लहर में भी BJP का प्रदर्शन संतोष जनक नहीं था। लिहाजा, इस बार BJP दमखम के साथ चुनावी रण में उतरने जा रही है। इसकी कमान खुद CM योगी आदित्यनाथ ने संभाली है। वर्ष 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को फूलपुर पवई सीट पर विजय मिली थी। इस सीट से BJP के अरुण कांत यादव विधायक हैं। 9 सीटें SP और BSP के खाते में गई थीं।
इसी वजह से BJP यहां पर अपने प्रदर्शन को और अच्छा करना चाहती है। उन्होंने बताया यहां पर अमित शाह कई बैठकें करेंगे। शाह इस दौरान अलग-अलग सांगठनिक बैठकों के साथ ही समाज में पैठ रखने वाले लोगों के साथ चर्चा करेंगे। इस दौरान अमित शाह प्रधानमंत्री मोदी के काशी क्षेत्र के विधानसभा सीटों पर सक्रिय दावेदार, पूर्व प्रत्याशी, विधायक सहित अन्य लोगों की समीक्षा भी करेंगे।
आजमगढ़ में विधानसभा की दस सीटें हैं। इसी कड़ी में राज्य विश्वविद्यालय की नींव डाली जा रही है। पार्टी का प्रयास है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में और ज्यादा सीटें जीती जा सकें। यहां पर फूलपुर पवई, गोपालपुर, दीदारगंज, मुबारकपुर, मेंहनगर (सुरक्षित), लालगंज (सुरक्षित), अतरौलिया, सगड़ी, आजमगढ़ सदर और निजामाबाद सीटें आती हैं। अगर पुराने राजनीतिक परिस्थितियों को देखे तो यहां पर मोदी लहर में भी भाजपा लालगंज और आजमगढ़ लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी।
2014 में आजमगढ़ से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने चुनाव जीता था। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां से भोजपुरी फिल्म स्टार दिनेश लाल निरहुआ को हराया था। हालांकि 2014 के के चुनाव भाजपा ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित लालगंज पर चुनाव जीता था।
सपा के पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व वरिष्ठ नेता रजनीश राय का कहना है कि सपा का यहां पर कोई तोड़ नहीं है। इस बार जनता सपा को पहले से ज्यादा प्यार देगी। भाजपा सिर्फ झूठ और नफरत की राजनीति करती है। जनता इनके चेहरे को पहचान गयी है। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में सपा के सिपाहियों ने पूरे सिद्दत के साथ काम किया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार निरीक्षण भी करते थे। वह रिपोर्ट भी लेते थे।
यहां पर सपा को कोई विकल्प नहीं है। दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक ने कहा कि हमने 47 विधायकों से अपनी पार्टी का विस्तार किया। 2017 में हमें जनता ने 325 सीटें दी है। 70-80 सीटें हम नहीं जीत पाए थे। जो नहीं जीते थे। उसे जीतना है। उसी क्रम में आजमगढ़ भी है। यहां पर भाजपा सीटें जीतने के लिए संपर्क-संवाद काम हो रहा है। आजमगढ़ में कमल खिलाने की तैयारी हो रही है।