नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच जानलेवा ब्लैक फंगस का संकट गहरा रहा है. अब तक चंडीगढ़, असम, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा और पंजाब जैसे राज्यों ने इस बीमारी को महामारी घोषित किया है. वहीं, ब्लैक के बाद अब व्हाइट फंगस के भी कुछ केस सामने आए हैं. गुरुवार को तमिलनाडु सरकार राज्य में नौ लोगों के ब्लैक फंगस संक्रमण (म्यूकरमाइकोसिस) से संक्रमित पाए जाने के बाद बृहस्पतिवार को इसे एक अधिसूचित रोग घोषित किया.
सिरसा के सिविल सर्जन मनीष बंसल ने कहा कि हमारे पास 5 मामलों की सूचना है जिनकी मौत हो गई है. यह फंगल इंफेक्शन (ब्लैक फंगस) है. कोरोना के बाद इसके ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. इसमें नाक के आस-पास इंफेक्शन हो जाती है जो बाद में आंख में, दिमाग में चली जाती है जो जानलेवा है. उन्होंने कहा कि ये उन मामलों में ज्यादा है जिन्हें मधुमेह है, जो लंबे समय तक अस्पताल में रहे हैं और स्टिरॉइड्स का ज्यादा इस्तेमाल किया है.
अमृतसर के सिविल सर्जन डॉ. चरणजीत सिंह ने कहा कि ब्लैक फंगस के अमृतसर में अब तक 17 मामले सामने आए हैं, जो 5-6 अस्पतालों में दर्ज़ किए गए हैं. हम रोज़ाना अस्पतालों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं ताकि मामलों को बढ़ने से रोका जा सके. अस्पतालों को गाइडलाइन जारी की गई है.
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि अभी तक ब्लैक फंगस के 226 मामले सामने आए हैं. हमने इसके लिए सभी मेडिकल कॉलेज में 20-20 बेड में वार्ड रिजर्व किए हैं. दवाई भी हम उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं. हम बाहर से भी दवाई मंगवाएंगे. केंद्र सरकार से भी हमने अपने हिस्से की दवा मांगी है.
इस बीच राज्य मंत्री केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स मनसुख मंडाविया ने कहा कि ब्लैक फंगस (म्यूकोर्माइकोसिस) इलाज करने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी की कमी को जल्द दूर किया जाएगा. तीन दिनों में मौजूदा 6 फार्मा कंपनियों के अलावा 5 और फार्मा कंपनियों को भारत में इसके उत्पादन के लिए न्यू ड्रग स्वीकृति मिली है. मौजूदा फार्मा कंपनियों ने पहले से ही उत्पादन बढ़ाना शुरू कर दिया है. भारतीय कंपनियों ने एम्फोटेरिसिन बी की 6 लाख शीशियों के आयात के ऑर्डर भी दिए हैं.
बता दें कि गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से ब्लैक फंगस संक्रमण (म्यूकरमाइकोसिस) को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाकर सभी मामलों की सूचना देने आग्रह किया है. इसने यह भी कहा है कि इस संक्रमण से कोविड-19 रोगियों में दीर्घकालिक रुग्णता और मौतों की संख्या में वृद्धि हो रही है.
मंत्रालय ने एक पत्र में कहा कि हालिया समय में कई राज्यों से कोविड रोगियों में फंगस संक्रमण ‘म्यूकरमाइकोसिस’ के रूप में एक नयी चुनौती सामने आई है. इसने कहा कि यह बीमारी खासकर ऐसे कोविड रोगियों में देखने को मिल रही है जिन्हें स्टेरॉइड थेरेपी उपचार मिला है और जिनका सुगर लेवल अनियंत्रित है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘फंगस संक्रमण का परिणाम कोविड रोगियों में दीर्घकालिक रुग्णता और मौतों की संख्या में वृद्धि के रूप में सामने आ रहा है.’’ उन्होंने कहा कि इस संक्रमण के उपचार के लिए विभिन्न नजरियों पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है जिसमें आंखों के सर्जन, कान-नाक-गला विशेषज्ञों, सामान्य सर्जन और अन्य का दृष्टिकोण शामिल हो तथा कवक रोधी दवा के रूप में एंफोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा सकता है.
पत्र में कहा गया है, ‘‘आपसे आग्रह है कि म्यूकरमाइकोसिस को महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत अधिसूच्य बीमारी बनाएं, जिसमें सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य प्रतिष्ठान, मेडिकल कॉलेज म्यूकरमाइकोसिस संबंधी निगरानी, निदान, प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे.’’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पत्र में यह भी कहा है, ‘‘और, सभी प्रतिष्ठानों के लिए यह आवश्यक बनाया जाए कि वे सभी संदिग्ध तथा पुष्ट मामलों की सूचना जिला स्तर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग को और फिर एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) निगरानी प्रणाली को दें.’’