ऋषिकेश: गंगा की स्वच्छता के लिए जान देने वाले स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर अब मेडिकल साइंस में काम आएगा. उनकी इच्छा के मुताबिक परिजनों ने पार्थिव शरीर ऋषिकेश एम्स को दान कर दिया. उनके पार्थिव शरीर को अस्पताल प्रशासन ने सुरक्षित रखने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
सानंद ने देहदान का लिया था संकल्प
सानंद ने 28 अगस्त को देहदान का संकल्प पत्र भरा था. 17 सितंबर को एम्स प्रशासन ने इसे स्वीकार कर लिया था. एम्स के निदेशक प्रो.रविकांत ने बताया कि शरीर दान की प्रक्रिया के तहत स्वामी सानंद के परिजनों से बातचीत की गई. उनके दत्तक पुत्र तरुण अग्रवाल, भतीजे चेतन गर्ग और अन्य परिजनों ने इसके लिए सहमति प्रदान की है. पोस्टमार्टम के बाद उनके शरीर को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया चल रही है. डॉक्टरों के मुताबिक सानंद का निधन हृदयघात के कारण हुआ है, इसलिए उनके शरीर के अंदरूनी अंग काम नहीं आ सकते. फिर भी, पार्थिव शरीर के नब्बे फीसदी हिस्से को मेडिकल साइंस की पढ़ाई में इस्तेमाल किया जा सकता है.
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स्वामी सानंद का पोस्टमॉर्टम हुआ
जिलाधिकारी की इजाजत के बाद चार डाक्टरों की टीम ने देर रात स्वामी सानंद के शव का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी भी कराई गई. किसी विवाद से बचने के लिए प्रशासन ने तय किया था कि एम्स के फोरेंसिंक एक्सपर्ट की टीम उनके पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम करेगी. उनके कुछ विशेष अंगों को चिकित्सा जांच के लिए भी भेजा जाएगा.
डॉक्टरों के मुताबिक कमजोरी और हार्ट अटैक से स्वामी सानंद का निधन हुआ है. बुधवार को स्वामी सांनद को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था. लगातार कई महीनो से अनशन पर बैठे स्वामी सांनद ने मंगलवार को जल भी त्याग दिया था. स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद 22 जून से गंगा के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे.