नई दिल्ली, एंटरटेंमेन्ट डेस्क। हिंदी सिनेमा में जब भी खलनायकों का जिक्र होता है, तो मेल विलेन की लिस्ट में प्रेम चोपड़ा, अमरीश पुरी, रंजीत का नाम जरूर आता है। हालांकि, जब भी फिमेल एक्टर के निगेटिव रोल्स की बात की जाती है, तो सामने सिर्फ एक ही चेहरा नजर आता है और वो है ललित पवार का। इंडस्ट्री में ललिता पवार को खूब पॉपुलेरिटी मिली और निगेटिव किरदार में उन्हें खूब पसंद भी किया गया। कई दशकों तक उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में राज किया, लेकिन अपने करियर के शुरुआती दौर में ही एक फिल्म की शूटिंग के दौरान एक हादसे में उनकी आंख खराब हो गई। मगर इसे शायद ललिता की किस्मत ही कहेंगे कि उन्हें इसका भी अपने करियर में खूब फायदा मिला।
रामानंद सागर के प्रसिद्ध सीरियल रामायण में मंथरा का किरदार निभाने वाली ललिता पवार का आज जन्मदिन है। इस खास मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं।
नासिक में 18 अप्रैल, 1916 को ललिता पवार का का जन्म हुआ। नौ साल की उम्र में 1928 में ललिता ने बाल कलाकार के तौर पर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। इसका बाद वो हर बार ये साबित करती चली गईं कि वो एक बेहतरीन अदाकारा हैं। आपको बता दें कि जबरदस्त अदाकारा होने के साथ-साथ वो एक अच्छी गायिका भी थीं।
इस घटना से बदल गई जिंदगी
उनकी कामयाबी के इस सफर को उस वक्त ग्रहण लग गया, जब साल 1942 में फिल्म ‘जंग-ए-आजादी’ की शूटिंग चल रही थी। इसी दौरान उनके साथ सेट पर एक हादसा हो गया, जिसने उनकी पूरी जिंदगी बदलकर रख दी। दरअसल, इस फिल्म में उन्हें अभिनेता भगवान दादा के साथ एक थप्पड़ का सीन शूट करना था। इसकी शूटिंग के दौरान भगवान दादा ने ललिता पवार को इतनी जोर का थप्पड़ मारा कि वो दूर जा गिरीं। उनके कान से खून बहने लगा। इस घटना का इतना बुरा असर हुआ कि ललिता के शरीर के दाहिने हिस्से को लकवा मार गया। इस हादसे के कारण उनकी दाहिनी आंख खराब हो गई, वो सिकुड़ गई। उनका चेहरा बिगड़ गया।
इस हादसे के बाद ललिता को कभी बतौर हीरोइन काम नहीं मिला, लेकिन फिल्मों में बतौर सास और मां के रोल में ललिता ने इतनी जबरदस्त कामयाबी हासिल की और उस मिथ को तोड़ने का काम किया कि चेहरा खराब होने से अदाकारों को काम नहीं मिलता है।
हौसले से मिली कामयाबी
इस हादसे के बाद से ललिता पवार काफी लंबे वक्त तक मनोरंजन की दुनिया से दूर रहीं। इस दौरान उन्हें फिल्मों में भी कुछ खास काम नहीं मिल रहा था। हालांकि, इतना सबकुछ होने के बाद भी उन्होंने कभी अपने हौसले को मरने नहीं दिया। सेहत में सुधार होने के बाद एक बार फिर से उन्होंने साल 1948 में पर्दे पर वापसी की। उस दौर में उन्हें नेगेटिव रोल मिलने शुरू हुए। फिल्मों में कड़क सास का किरदार उनका ट्रेडमार्क बन गया।
1955 में आई फिल्म ‘श्री 420’ में ललिता पवार ने गंगा माई का किरदार निभाया था।
1955 में आई फिल्म ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’ में ललिता पवार ने मधुबाला की आंटी सीता देवी का रोल अदा किया था।
फिल्म अनाड़ी (1959) में ललिता पवार ने मिसेज डीसा का किरदार अदा किया था।