नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करते हुए कहा कि नालंदा केवल नाम नहीं, यह एक पहचान है, सम्मान है, मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है। नालंदा इस सत्य का एक उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं।
#Live | 'नालंदा उद्घोष है इस सत्य का… कि आग की लपटों में पुस्तकें भलें जल जाएं… लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं'
बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री @narendramodi का सम्बोधन..
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— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) June 19, 2024
प्रधानमंत्री ने कहा, हम सभी जानते हैं कि नालंदा कभी भारत की परम्परा और पहचान का जीवंत केंद्र हुआ करता था। नालंदा का अर्थ है जहां शिक्षा का, ज्ञान के दान का अविरल प्रवाह हो। शिक्षा को लेकर यही भारत की सोच रही है। शिक्षा सीमाओं से परे है। नफा-नुकसान के नजरिए से परे है। शिक्षा ही हमें गढ़ती है, विचार देती है और उसे आकार देती है। प्राचीन नालंदा में बच्चों का एडमिशन उनकी पहचान, उनकी राष्ट्रीयता को देख कर नहीं होता था। हर देश, हर वर्ग के युवा हैं यहां पर आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए परिसर में हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से आधुनिक रूप में मजबूती देनी है और मुझे ये देख कर खुशी है कि दुनिया के कई देशों से आज यहां कई विद्यार्थी आने लगे हैं। यह वसुधैव कुटुंबकम की भावना का कितना सुंदर प्रतीक है।
#WATCH नालंदा, बिहार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "भारत में शिक्षा मानवता के लिए हमारे योगदान का एक माध्यम मानी जाती है। हम सीखते हैं ताकि अपने ज्ञान से मानवता का भला कर सकें। 2 दिन के बाद ही 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है। आज भारत में योग की सैंकड़ों विधाएं मौजूद… pic.twitter.com/Hy9lgmvP7Z
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 19, 2024
पीएम बोले, भारत में शिक्षा मानवता के लिए हमारे योगदान का एक माध्यम मानी जाती है। हम सीखते हैं ताकि अपने ज्ञान से मानवता का भला कर सकें। आप देखिए अभी 2 दिन के बाद ही 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है। आज भारत में योग की सैंकड़ों विधाएं मौजूद हैं। हमारे ऋषियों ने इसके लिए कितना गहन शोध किया होगा, लेकिन किसी ने योग पर एकाधिकार नहीं बनाया। आज पूरा विश्व योग को अपना रहा है। योग दिवस एक वैश्विस उत्सव बन गया है। हमने अपने आयुर्वेद को भी पूरे विश्व के साथ साझा किया है। आज आयुर्वेद को स्वस्थ जीवन के स्रोत के रूप में देखा जा रहा है।