सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को दोषी ठहराए जाने पर भी उसका घर नहीं गिराया जा सकता। यह याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा विभिन्न मामलों में आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी।
‘दोषी ठहराए जाने पर भी घर नहीं गिराया जा सकता’
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की, ‘सिर्फ इसलिए कि वह आरोपी है, किसी का घर कैसे गिराया जा सकता है? कोर्ट ने कहा कि उसे दोषी ठहराए जाने पर भी घर नहीं गिराया जा सकता।’न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन ने कहा कि किसी को भी कानूनी खामियों का फायदा नहीं उठाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि एक पिता का बेटा बागी हो सकता है, लेकिन अगर इस आधार पर घर को गिरा दिया जाता है, तो यह सही तरीका नहीं है।
नगरपालिका कानूनों के उल्लंघन पर कार्रवाई हुई
इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कहा ये सही बाता है कि कि अपराध में दोषी साबित होने पर भी घर नहीं गिराया जा सकता। उन्होंने कोर्ट को स्पष्ट करते हुए बताया कि हम तभी कार्रवाई करते हैं जब नगरपालिका कानूनों का उल्लंघन होता है। जिनके खिलाफ कार्रवाई हुई है उन्होंने अवैध कब्जा या निर्माण किया था। अपराध के आरोप की वजह से कार्रवाई नहीं की गई है।
अगली सुनावाई 17 सितंबर हो होगी
इस पर बेंच ने कहा कि लेकिन शिकायतों को देखते हुए, हमें लगता है कि इसमें उल्लंघन हो रहा है।न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि हालांकि यह कानून की स्थिति है, इसका पालन ज्यादातर मामलों में उल्लंघन के रूप में हो रहा है। कोर्ट ने कहा कि अगर निर्माण अवैध है, तो इस पर कानून के अनुसार कार्रवाई होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने यह भी कहा कि अवैध भवनों को गिराने के लिए राज्य भर में एक दिशा-निर्देश लागू करने की आवश्यकता है। इस पर न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि सुझाव आने दें, हम पूरे भारत के लिए दिशानिर्देश जारी करेंगे। मामले की अगली सुनावाई 17 सितंबर हो होगी।
जमीयत उलेमा ए हिंद ने दाखिल की याचिका
बता दें कि ये याचिका मुस्लिम विद्वानों की संस्था जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दाखिल किया गया है। याचिका में जमीयत उलेमा ए हिन्द ने सरकारों के द्वारा आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाने पर रोक लगाने की मांग की है। इस याचिका में यूपी, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हाल में हुई बुलडोजर कार्रवाइयों का भी जिक्र किया गया है। याचिका में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाए जाने का भी आरोप लगाया गया है।