बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन की मंगलवार को कार्यवाही शुरू हुई। इसमें जाति गणना की रिपोर्ट पेश की गई। इस दौरान विपक्ष के विधायकों ने खूब हंगामा किया। विधायकों को जातीय गण्ना की कॉपी बांटी गई। इसके बाद जातीय गणना से जुड़ी रिपोर्ट पेश की गई है। हंगामा के बीच विधानसभा में जाति गणना की रिपोर्ट पेश की गई। इसमें बताया गया कि 13.83 प्रतिशत कायस्थ गरीब है। इसके अलावा 24.89 राजपूत परिवार के लोग भी गरीब है। जारी आंकड़ों के अनुसार सामान्य वर्ग में 25.9 प्रतिशत लोग करीब में अपना जीवन बीता रहे है।
जातीय जनगणना को लेकर भारतीय जनता पार्टी लगातार नीतीश सरकार पर हमला बोला रही है।
बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जातीय जनगणना को लेकर बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर बड़ा आरोप लगाया। अमित शाह ने कहा कि बिहार सरकार ने अपनी तुष्टिकरण की राजनीति के तहत राज्य के जाति सर्वेक्षण में जानबूझकर मुस्लिमों और यादवों की आबादी को बढ़ाकर दिखाया है। अमित शाह के बाद बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर हमला बोला। बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा कि अमित शाह ने सही कहा है कि यादव और मुसलमानों की संख्या बढ़ी है। इससे अति पिछड़ों का हक मारा गया है।
वहीं बिहार के डिप्टी सीएम और राजद नेता तेजस्वी यादव ने बीजेपी के आरोपों पर पलटवार किया है। उन्होंने लगाए गए आरोप को बकवास करार दिया है। साथ ही कहा है कि राज्य सर्वेक्षण में गलती खोजने के बावजूद केंद्र राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की घोषणा करने से क्यों कतरा रहा है। उन्होंने कहा कि वे कह रहे हैं कि पिछड़ों और अति पिछड़ों की संख्या कम हो गई है और यादवों की संख्या बढ़ गई है। क्या यादव पिछड़े नहीं हैं?…किस बात पर। क्या वे यह कह रहे हैं कि क्या बढ़ाया या घटाया गया है? हमारे पास वैज्ञानिक डेटा है। उनके पास इसका समर्थन करने के लिए एक आधार होना चाहिए। वे यह किस आधार पर कह रहे हैं?