क्या राज्य CBI को कर सकते हैं बैन ?

आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने-अपने राज्य में सीबीआई की एंट्री पर बैना लगा दिया है. जहां चंद्रबाबू सरकार ने दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत आम सहमति को वापस ले लिया है, तो वहीं ममता सरकार ने सीबीआई को राज्य में छापे मारने और जांच करने के लिए दी गई ‘सामान्य रजामंदी’ को शुक्रवार को वापस ले लिया. अब ऐसे में मन में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी को क्या कोई भी राज्य अपने प्रदेश में बैन कर सकता है? चलिए जानने की कोशिश करते हैं.

क्या CBI को कर सकते हैं बैन

आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने-अपने प्रदेश में CBI के लिए दरवाजे बंद कर दिए, लेकिन क्या राज्य सरकार के पास ऐसे अधिकार हैं. जिनके द्वारा वो ऐसा कर सकती हैं? दरअसल, 1946 में दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टेब्लिशमेंट एक्ट-1946 के तहत CBI की स्थापना हुई थी, जिसके दायरे में दिल्ली समेत बाकी केंद्र शासित प्रदेश आते हैं, लेकिन, इस कानून के सेक्शन-6 के मुताबिक, दूसरे किसी भी राज्य में कार्रवाई करने के लिए उस प्रदेश से लिखित इजाजत लेना जरूरी होता है. वहीं वरिष्ठ वकील गौतम अवस्थी की मानें तो लॉ एंड ऑर्डर राज्य के अंतर्गत आते है, लेकिन CBI अपने दिशानिर्देशों के हिसाब से केंद्र सरकार के विभागों या मंत्रालयों से संबंधित अपराधों के मामले में दखल दे सकती है.

उदाहरण के लिए 10 करोड़ से ज्यादा के भ्रष्टाचार मामले सीबीआई को ही जाते हैं. वहीं अगर राज्य खुद किसी भी जांच को लेकर सीबीआई की मदद मांगे तो सीबीआई जांच राज्य में हो सकती है. इसके अलावा हाई कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट अगर राज्य में सीबीआई जांच के आदेश देता है तो सीबीआई जांच के लिए राज्य की इजाजत की जरूरत नहीं होगी.

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