काफी शोर-शराबे के बीच दिल्ली में ग्रेड-A अफसरों की ट्रान्सफर-पोस्टिंग पर नियंत्रण वाले मामले से जुड़ा विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने इस बिल को पेश होने के बाद लोकसभा में बताया कि यह संविधान का उल्लंघन और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को बदलने की कोशिश है। इससे देश में लोकतंत्र कमजोर होगा सरकार इसी मंशा से इस बिल को लाई है। बता दें कि 25 जुलाई को इस अध्यादेश को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिली थी। विधेयक पेश हो सके, इसके पहले ही मणिपुर मुद्दे को लेकर हंगामा शुरू हो गया जिस कारण सदन की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित हो गई।
Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Bill, 2023 introduced in Lok Sabha. pic.twitter.com/vSxVvkMGQS
— ANI (@ANI) August 1, 2023
इसे लेकर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा MP राघव चड्ढा ने कहा कि इस बिल के पास हो जाने के बाद दिल्ली में लोकतंत्र रह ही नहीं जायेगा, ये ‘बाबूशाही’ में तब्दील हो जाएगा। जनता द्वारा चुनी हुई सरकार की सारी शक्तियां छीनकर BJP द्वारा बिठाये गए LG को दे दी जाएंगीं। बता दें कि केंद्र ने 19 मई को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अध्यादेश जारी किया था। इस अध्यादेश में उसने सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को मिला था।
आप सांसद संजय सिंह का कहना है कि भले हीं मोदी सरकार इस बिल को लोकसभा से पास करा लेगी लेकिन उच्च सदन में हम विपक्षी दल एकजुट होकर इसे गिरा देंगे। लेकिन उनके दावे में दम नहीं है क्योंकि मोदी सरकार को अब नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी का भी साथ मिल गया है। बीजेडी के कारण दोनों सदनों में मोदी सरकार के अंकगणित में भी बढ़ोतरी हो जाएगी, और संजय सिंह के दावे धरे के धरे रह जाएंगे।
जैसे हीं यह बिल लोकसभा के बाद राज्य सभा से पारित होगी उसके बाद से दिल्ली के मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की शक्तियां काफी हद तक कम हो जाएंगी। दिल्ली में जो भी ग्रेड-ए अधिकारी तैनात होंगे, जिनके फैसले से काफी असर पड़ता है, उनपर दिल्ली सरकार का कंट्रोल खत्म होगा और ये शक्तियां उपराज्यपाल (LG) के जरिए केंद्र सरकार के पास चली जाएंगी।
दिल्ली सेवा बिल में नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाने का प्रावधान है। दिल्ली के मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे। अथॉरिटी में दिल्ली के मुख्य सचिव एक्स ऑफिशियो सदस्य, प्रिसिंपल होम सेक्रेटरी मेंबर सेक्रेटरी होंगे। अथॉरिटी की सिफारिश पर LG फैसला करेंगे, लेकिन वे ग्रुप-ए के अधिकारियों के बारे में संबधित दस्तावेज मांग सकते हैं। अगर अथॉरिटी और एलजी की राय अलग-अलग होगी तो LG का फैसला ही सर्वोपरि माना जाएगा।