बुधवार 22 मार्च से शुरू हो रही है, इस दिन वासंतिक नवरात्रि पर कलश स्थापना (Kalash Sthapana on Navratri) के बाद नौ दिन तक भक्त जगदंबा की पूजा अर्चना में रमेंगे। वरात्रि के दौरान तीन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं, पहला 23 मार्च, दूसरा 27 मार्च और तीसरा 30 मार्च को, जबकि अमृत सिद्धि योग 27 और 30 मार्च को बनेंगे। इसके अलावा 24, 26 और 29 मार्च को रवि योग बन रहा है। वहीं राम नवमी के दिन गुरु पुष्य योग भी बन रहा है।
कलश स्थापना का मुहूर्तः प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी के अनुसार 22 मार्च को शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन दुर्गा पूजा कलश स्थापना और पूजा का मुहूर्त इस प्रकार है।
सुबह 6:30 बजे से सुबह 7:30 बजे तक (द्विस्वभाव मीन लग्न के दौरान)
पूजा का समयः सुबह 7:50 से 9:26 बजे तक
सुबह 10:57 से 12:27 बजे तक
दोपहर 3:30 से 4:50 बजे तक
प्रदोष काल पूजा समय शाम 5:00 बजे से शाम 6:30 बजे तकप्रतिपदा तिथि का प्रारंभः दृक पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च 10.52 पीएम से हो रही है।
प्रतिपदा तिथि का समापनः 22 मार्च 8.20 PM
मीन लग्न का प्रारंभः 22 मार्च 6.23 AM
मीन लग्न का समापनः 22 मार्च 7.36AM
सुबह 10:57 से 12:27 बजे तक
दोपहर 3:30 से 4:50 बजे तक
प्रदोष काल पूजा समय शाम 5:00 बजे से शाम 6:30 बजे तकप्रतिपदा तिथि का प्रारंभः दृक पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च 10.52 पीएम से हो रही है।
प्रतिपदा तिथि का समापनः 22 मार्च 8.20 PM
मीन लग्न का प्रारंभः 22 मार्च 6.23 AM
मीन लग्न का समापनः 22 मार्च 7.36AM
नवरात्रि की पूजा के लिए स्थापित किए जाने वाले कलश की दिशा का ध्यान रखना जरूरी है। ईशान कोण (उत्तर पूर्व दिशा) देवताओं की दिशा मानी जाती है। इसलिए कलश भी इसी दिशा में रखना चाहिए, क्योंकि कलश में भगवान विष्णु का वास माना जाता है।
कलश का मुंह खुला नहीं रखना चाहिए, उसमें जल भरने के बाद यथोचित स्थान पर रखने के बाद उसमें आम के पत्ते डाल दें, उसके ऊपर मिट्टी का ढक्कन लगा दें जिसको अक्षत (चावल) से भर दें और उस पर जटा वाला नारियल कलावा लपेटकर रख दें।कलश स्थापना से पहले मां जगदंबा के सामने अखंड ज्योति जलाना चाहिए। इसे आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण दिशा) में रखना चाहिए। कलश स्थापना के वक्त भक्त का मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए