बाकू में आयोजित शतरंज वर्ल्ड कप के फाइनल में 18 वर्षीय भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रगनाननंदा को हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के साथ ही भारत का 21 साल बाद खिताब जीतने का सपना टूट गया। प्रगनाननंदा ने फ़ाइनल में बेहतरीन प्रदर्शन किया लेकिन टाई-ब्रेकर गेम में उन्हें वर्ल्ड के नंबर 1 नार्वे के मैग्नस कार्लसन से हार का सामना करना पड़ा।
5 बार के वर्ल्ड चैंपियन मैग्नस कार्लसन को प्रगनाननंदा ने फ़ाइनल में कड़ी टक्कर दी। दोनों खिलाड़ियों के बीच क्लासिकल प्रारूप में दोनों मुकाबले ड्रॉ रहे थे। ऐसे में यह मैच टाई ब्रेकर में पहुंचा और यहां जीत हासिल कर मैग्नस कार्लसन ने वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। टाईब्रेक में पहले गेम में प्रगनाननंदा को हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वे वापसी नहीं कर पार और अनुभवी कार्लसन ने अगला गेम ड्रा कर मैच जीत लिया। टाईब्रेकर का पहला रैपिड गेम नार्वे के खिलाड़ी ने 47 मूव के बाद जीता था। दूसरा गेम 22 मूव के बाद ड्रॉ रहा और कार्लसन विजेता बन गए।|
इस टूर्नामेंट में अमेरिका के फैबियानो कारुआना तीसरे और अजरबैजान के निजात अबासोव चौथे स्थान पर रहे। प्रगनानंदा अगर यह मुकाबला जीत जाते तो 21 साल बाद कोई भारतीय यह टाइटल जीतता। इससे पहले विश्वनाथन आनंद ने 2002 में इस चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी। तब प्रगनानंदा पैदा भी नहीं हुए थे। फाइनल में जगह बनाने के बाद, प्रगनानंदा दिग्गज बॉबी फिशर और कार्लसन के बाद कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने वाले तीसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए।