त्योहारों का महापर्व छठ का आज यानी 19 नवंबर को तीसरा दिन है. 4 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को बड़ी धूम-धाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. छठ के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. छठ महापर्व का हर एक दिन एक विशेष महत्व रखता है. छठ के दो दिन तो बीत चुके हैं. आज का तीसरा और भी खास रहेगा. आइए जानते हैं कि किस शुभ मुहूर्त में डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा.
आज शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है. आज सूर्योदय सुबह 6 बजकर 46 मिनट पर हुआ है. सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 58 मिनट है. छठ पर्व के तीसरे दिन सूर्य देव की शाम को पूजा की जाती है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं शाम को जब सूर्यदेव डूबते है उस वक्त किसी तालाब या नदी में खड़ी होकर अर्घ्य देती हैं. आज के दिन शाम को सूर्यदेव को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 26 मिनट से शुरू हो जाएगा. वहीं, अगले दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का समय सुबह 6 बजकर 47 मिनट है.
सूर्य देव को पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है. जल में दूध भी मिला सकते हैं. व्रत रखने वाली महिला के साथ घर परिवार के सदस्य भी मौजूद रहते हैं. आज यानी छठ के तीसरे दिन टोकरी में ठेकुआ, फल, चावल के लड्डू, नारियल, गन्ना मूली, कंदमूल आदि से सूप को सजाकर तैयार करके व्रत रखने वाली महिलाएं पूजा अर्चना करती हैं. दूसरे दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती महिलाएं 36 घंटों के लिए कुछ भी नहीं खाती हैं. उनका पूरा व्रत निर्जला रहता है.
छठ के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. सूर्य को अर्घ्य देने के लिए साफ लोटे में जल लें और उसमें गाय का कच्चा दूध मिलाएं. साथ ही साथ लाल चंदन, लाल फूल, चावल और कुश भी लोटे में डालें. जल से भरे लोटे को उठाकर सूर्य मंत्र का जाप करते हुए धीरे-धीरे जल को छोड़ें. भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय मंत्र उच्चारण करें और पुष्पांजली अर्पित करें. जब जल छोड़े तो अपनी नजर को जल की धारा पर टिकाएं रहें.
भारतीय हिंदू परंपरा में डूबते हुए सूर्य की पूजा करने का विधान है. पौराणिक कथाओं की मानें तो सायंकाल के समय सूर्यदेव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते है. उनकी पत्नी को सूर्यदेव की अंतिम किरण भी कहा जाता है. इसलिए उन्हें अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है. मान्यता है कि डूबते हुए सूर्य की पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.