Chhath Puja 2024: पटना से दिल्ली तक छठ की रौनक, व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया

छठ पूजा के तीसरे दिन आज संध्या अर्घ्य देने के साथ इस दिन की पूजा का समापन हो गया। खासकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। छठ पूजा का यह दिन बेहद खास होता है, क्योंकि इस दिन व्रति डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस पूजा में मुख्य रूप से संतान सुख और परिवार की खुशहाली के लिए सूर्य देव से आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।

संध्या अर्घ्य का महत्व

संध्या अर्घ्य के दौरान व्रति महिलाएं विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा करती हैं। पूजा का यह विधि विधान संतान सुख और पारिवारिक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके बाद, व्रति महिलाएं व्रत कथा का पाठ करती हैं, जो इस पूजा का एक अहम हिस्सा है। कहा जाता है कि संध्या अर्घ्य के बाद व्रत कथा का पाठ करना व्रति के लिए अत्यंत पुण्यदायिक होता है, जिससे पूजा का फल जल्दी मिलता है।

प्रकृति का आभार और सूर्य देव की पूजा

छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। सूर्य को जीवनदाता माना जाता है और वे ऊर्जा, शक्ति और स्वास्थ्य के प्रतीक माने जाते हैं। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रति प्रकृति की शक्ति का आभार व्यक्त करते हैं। सूर्य देव को अर्घ्य देने से समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की जाती है, साथ ही परिवार की सुख-शांति और जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति भी मिलती है।

व्रतियों का उत्साह और आस्था

पटना से लेकर दिल्ली तक छठ पूजा का उत्साह और श्रद्धा की लहर देखी जा रही है। हजारों की संख्या में व्रति नदी के किनारे इकट्ठा हो रहे हैं, जहां वे अपने परिवार की सुख-शांति की कामना के साथ सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। खासकर महिलाएं, जो इस व्रत को बड़ी श्रद्धा और धैर्य के साथ करती हैं, इस दिन का विशेष ध्यान रखती हैं। व्रतियों का कहना है कि यह पर्व न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज और परिवार के बीच एकता और प्यार को भी बढ़ावा देता है।

छठ पूजा के चार दिन और उगते सूर्य को अर्घ्य देना

छठ पूजा का पर्व चार दिन चलता है, जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है। व्रति पहले दिन पूरे घर की सफाई करते हैं और विशेष प्रकार के पकवान तैयार करते हैं। दूसरे दिन उबटन और खरना के बाद, तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस व्रत का समापन होता है। इस दिन विशेष रूप से व्रति उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं और फिर व्रत का पारण करते हैं।

छठ पूजा का उद्देश्य

छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करके परिवार की खुशहाली और संतान सुख की प्राप्ति करना है। यह पर्व प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर भी है, और व्रति इस दिन के माध्यम से पृथ्वी पर जीवन की स्थिरता और समृद्धि की कामना करते हैं। साथ ही, यह पर्व समाज में सकारात्मकता और समरसता का संदेश भी देता है।

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