मणिपुर में कुकी और मेतैई समुदाय के बीच जारी हिंसा कब रुकेगी इसका आकलन करना काफी मुश्किल हो गया है। क्योंकि पिछले तीन महीने से राज्य में दो समुदाय के बीच जो कुछ हो रहा है उसे लगाम लगाने में हमारे सुरक्षाबल पूरी तरह नाकाम दिखे हैं। अब इस पूर्वोत्तर राज्य में जारी हिंसा के बीच पूर्व सेना प्रमुख ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि इस हिंसा के पीछे विदेशी एजेंसियों का हाथ हो सकता है। पूर्व सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने सीधे-सीधे चीन का जिक्र किया और कहा कि मणिपुर हिंसा में विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता।
पूर्व आर्मी चीफ नरवणे ने कहा कि बॉर्डर राज्यों में अस्थिरता देश की समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अच्छी नहीं है। उन्होंने मणिपुर में उग्रवादी संगठनों को चीन की ओर से दी जा रही सभी प्रकार के सहायता का भी उल्लेख किया। जिस तरह की आधुनिक हथियार उग्रवादी उपयोग कर रहे हैं वो बिना किसी विदेशी ताकत के सहायता से इनके पास पहुंच हीं नहीं सकता।
पूर्व सेना प्रमुख ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिप्रेक्ष्य’ विषय पर आयोजित एक चर्चा के दौरान मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए यह बयान दिया।
नरवणे बोले – “मुझे यकीन है कि जो लोग सत्ता में हैं और जो भी कार्रवाई की जानी चाहिए, उसे करने के लिए जिम्मेदार हैं, वे अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे हैं। मैं कहता हूं कि इसमें न केवल विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है, बल्कि मैं कहूंगा कि वे निश्चित रूप से इसमें शामिल हैं, खासकर विभिन्न विद्रोही समूहों को मिल रही चीनी सहायता।”
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि चीन कई दशकों से उग्रवादी समूहों की मदद कर रहा है और अब भी ऐसा करना जारी रखेगा। ताकि विकास की पथ पर बढ़ रहे भारत को रोका जा सके। चीन की यह नीति रही है कि अपने मजबूत पड़ोसियों को किसी ऐसे मामले में उलझाया जाए जिससे वो अपने मुख्य एजेंडे पर फोकस न कर पाए।
मणिपुर में कुकी और मेतैई समुदाय के बीच जारी हिंसा के बीच 19 जुलाई की शाम को एक वीभत्स घटना का वीडियो वायरल हो गया। जिसमें दरिंदो की एक भीड़ द्वारा दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र परेड कराया जा रहा था। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता था की दोनों महिलाएं कितनी असहाय थीं।
जैसे ही यह वीडियो सामने आया पूरा देश गुस्से से उबल पड़ा। हर जगह इन दरिंदों पर कार्रवाई की मांग उठने लगी। जिसके बाद इस केस को CBI को सौंपने का फैसला लिया गया ताकि जल्द से जल्द सभी दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो सके।