चिन्मयानंद मामला: हाईकोर्ट से पीड़िता को झटका, नहीं मिला गिरफ्तारी पर स्टे

स्वामी चिन्मयानंद प्रकरण में एसआईटी ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट को तीन सीलबंद लिफाफों में स्टेटस रिपोर्ट और केस डायरी पेश कर दी है। वहीं फिरौती के आरोप में गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रयागराज गई पीड़िता की स्टे की मांग को अदालत ने नामंजूर कर दिया है। साथ ही धारा 164 के तहत दोबारा कलमबंद बयान दर्ज करवाने की छात्रा की मांग को भी अदालत ने ठुकरा दिया।

बतादें कि, पीड़िता ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने और कोर्ट में दर्ज बयान को फिर से दर्ज कराने की मांग करते हुए अर्जी दाखिल की थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि अर्जी सुनने का अधिकार उसे नहीं है, पीड़िता को याचिका उचित कोर्ट में दाखिल करना चाहिए। इसके अलावा कोर्ट ने 164 के बयान फिर से कराने पर कोई आदेश नहीं दिया। कोर्ट ने कहा ऐसा आधार नहीं है।

सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि, छात्रा को गिरफ्तारी पर रोक के लिए दूसरी कोर्ट में अर्जी देनी होगी। दोबारा बयान की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट के अधिकार पर आपत्ति सही नहीं है। इस मामले में अदालत ने आगे की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 22 अक्तूबर, 2019 की तारीख तय की।

इस मामले की मॉनिटरिंग न्यायमूर्ति मनोज मिश्र और न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की खण्डपीठ कर रही है। बतादें कि शाहजहापुर के चौक कोतवाली में दर्ज दो मुकदमों की जांच एसआईटी कर रही है।

पेनड्राईव, सीडी और अन्य कई दस्तावेजों के साथ सौंपी गई एसआईटी द्वारा दिए गए सबूतों से अदालत ने संतुष्टी जताई है। इसके अलावा एसआईटी के आईजी नवीन अरोड़ा ने कोर्ट के सामने फिरौती मांगने की आरोपी छात्रा और उसके दोस्त संजय की कॉल डीटेल भी पेश की और बताया कि दोनों के बीच 4200 बार बातचीत हुई है।

छात्रा के वकील रवि किरण जैन का आरोप है कि, जिस वक्त धारा 164 के तहत बयान दर्ज किए जा रहे थे, उस समय वहां एक तीसरी महिला भी मौजूद थी जो अपने मोबाइल पर लगातार कुछ कर रही थी। इसके अलावा मजिस्ट्रेट ने बयान के हर पन्ने पर छात्रा के हस्ताक्षर नहीं लिए हैं।

इसके जवाब में कोर्ट ने कहा है कि ऐसा कोई भी नियम नहीं बनाया गया है कि हर पेज पर पीड़िता के हस्ताक्षर कराए जाए। तीसरी महिला की मौजूदगी का मामला ट्रायल कोर्ट विचरण के दौरान देखेगी। इस आधार पर दोबारा बयान की अनुमति नहीं दी जा सकती है।ट

चैंबर में सुनवाई की मांग भी नामंजूर

प्रदेश सरकार के वकील ने मामले को लेकर कोर्ट से मांग किया था कि, मामले की सुनवाई चैंबर में की जाए। इसपर आपत्ति जताते हुए स्वामी चिन्मयानंद के वकील दिलीप कुमार ने कहा कि एसआईटी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पूरे मामले की जानकारी दे रही है। शायद इस मामले में गोपनीयता की जरूरत कहीं नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने चैंबर में सुनवाई की मांग को भी नामंजूर कर दिया।

 

 

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