कभी डकैतों का अड्डा, आज IAS-IPS अफसरों का गांव! रैपुरा ने बदल दी अपनी तकदीर, बन गया यूपी का प्रेरणास्रोत

चित्रकूट, उत्तर प्रदेश। यूपी का एक छोटा सा गांव रैपुरा। कभी यह गांव डकैतों के अड्डे के नाम से मशहूर था। लोग इस गांव को यूपी का सबसे पिछड़ा इलाका मानते थे। लेकिन आज यही गांव IAS, IPS और PCS अफसरों का हब बन चुका है। जी हां, रैपुरा गांव ने अपनी तकदीर बदल दी है। यहां के लगभग हर घर में कोई न कोई सरकारी अधिकारी है। यह गांव अब न सिर्फ चित्रकूट बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए प्रेरणा बन चुका है।

कैसे बदल गया गांव का मिजाज?

रैपुरा गांव चित्रकूट के पाठा क्षेत्र में आता है। कभी यहां डकैतों का आतंक था। लोग डर के साये में जीते थे। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यहां एक डकैत के खत्म होते ही दूसरा पैदा हो जाता था। लेकिन समय बदला और शिक्षा की रोशनी ने इस गांव को एक नई दिशा दी। आज यहां के युवा सिर्फ सरकारी नौकरी पाने की चाह रखते हैं। और सिर्फ चाह ही नहीं, बल्कि इसके लिए दिन-रात मेहनत भी कर रहे हैं।

शिक्षा ने बदल दी जिंदगी

रैपुरा गांव के रिटायर्ड इंटर कॉलेज प्रिंसिपल महेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि गांव में करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा IAS, IPS और PCS अफसर हैं। यही नहीं, हर घर में कोई न कोई सरकारी नौकरी में है। गांव के बच्चों ने स्कूली पढ़ाई यहीं से की और फिर उच्च शिक्षा के लिए बाहर गए। उन्होंने मेहनत और लगन से खुद को इस काबिल बनाया कि आज उनका नाम देशभर में रोशन हो रहा है।

महेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि जब वे स्कूल में प्रिंसिपल थे, तब उन्होंने बच्चों को प्रेरित करने के लिए कई प्रेरणादायक कहानियां सुनाईं। धीरे-धीरे गांव में सरकारी नौकरी पाने की होड़ लग गई। पहले गांव के युवा अपराध और संघर्ष में उलझे रहते थे, लेकिन शिक्षा ने उनके जीवन की दिशा बदल दी।

ये हैं गांव के मशहूर अफसर

रैपुरा गांव के कई युवा सिविल सेवा में ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं। IAS अफसर अभिजीत सिंह, रोहित सिंह, कुलदीप कुमार, सीपी सिंह, IPS अफसर यदुवेंद्र शुक्ल, PCS अफसर तेज स्वरूप, सुरेंद्र, राजेंद्र, प्रकाश कुमार, सुरेश चंद्र पांडेय, प्रह्लाद सिंह, सुरेश गर्ग जैसे कई नाम हैं जो इस गांव की शान बढ़ा रहे हैं। अभी भी कई छात्र इस सफलता की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।

पूरे यूपी के लिए बना प्रेरणास्रोत

रैपुरा गांव अब सिर्फ चित्रकूट ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए प्रेरणा बन चुका है। जो गांव कभी डकैतों की पहचान से जाना जाता था, आज वह शिक्षा और सफलता की मिसाल पेश कर रहा है। यहां के युवा मेहनत और लगन से यह साबित कर चुके हैं कि कोई भी गांव अगर ठान ले तो अपने अतीत को बदलकर एक नया इतिहास लिख सकता है।

आगे की पीढ़ी भी है मेहनती

गांव की आगे की पीढ़ी भी पढ़ाई के मामले में काफी अव्वल है। हर कोई सरकारी अफसर बनने की चाह रखता है। न सिर्फ चाह, बल्कि इसके लिए दिन-रात मेहनत भी कर रहे हैं। गांव के बच्चों ने साबित कर दिया है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।

कैसे बदल गया गांव का भविष्य?

रैपुरा गांव की कहानी सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक सपने की कहानी है। यह साबित करती है कि शिक्षा और मेहनत से कैसे जिंदगी बदल सकती है। यह गांव अब उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो मानते हैं कि उनकी किस्मत में सिर्फ संघर्ष ही लिखा है। रैपुरा ने यह साबित कर दिया है कि अगर ठान लिया जाए तो कोई भी मुश्किल नामुमकिन नहीं है।

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