दिल्ली की मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने अपने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए क्राउड फंडिंग की अपील की थी, और महज चार घंटे में उन्हें 11 लाख से ज्यादा का चंदा मिल गया। यह चंदा 190 लोगों ने दिया, जिससे उनकी चुनावी जंग के लिए एक मजबूत वित्तीय मदद मिली है। आतिशी ने इस चंदे की शुरुआत सुबह 10 बजे की थी, और यह अभियान उनके लिए और भी जरूरी था, क्योंकि उन्होंने जनता से अपील की थी कि वे उद्योगपतियों से चंदा लेने के बजाय जनता के पैसों से चुनाव लड़ेंगी।
क्राउड फंडिंग के जरिए चुनावी जंग
आतिशी ने अपनी क्राउड फंडिंग की अपील में कहा था कि उन्हें 40 लाख रुपये की जरूरत है ताकि वे दिल्ली के कालकाजी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकें। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह इस चुनाव में उद्योगपतियों से चंदा नहीं लेंगी, बल्कि केवल जनता की मदद से चुनावी खर्चे पूरे करेंगी। इस अभियान के लिए आतिशी ने एक वेबसाइट लिंक भी जारी किया, जिसे लोग आसानी से अपनी राशि डोनेट करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। लिंक था – atishi.aamaadmiparty.org, जहां से कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा योगदान कर सकता था।
आतिशी का कहना था कि अगर कोई नेता जनता के पैसे से चुनाव लड़ता है, तो वह नेता लोगों की भलाई के लिए काम करता है, क्योंकि वह जनता के पैसों से चुनाव लड़ता है, न कि उद्योगपतियों के पैसों से। उनका मानना है कि जब चुनाव के लिए चंदा उद्योगपतियों से लिया जाता है, तो चुनाव जीतने के बाद उन उद्योगपतियों के हितों को ध्यान में रखा जाता है, जबकि जनता की चिंता नहीं की जाती।
आम आदमी पार्टी का अनोखा तरीका
आतिशी ने आम आदमी पार्टी (AAP) के चुनावी फंडिंग के तरीके को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने बताया कि जब से आम आदमी पार्टी का गठन हुआ है, तब से दिल्ली के आम लोग ही पार्टी को चुनाव में मदद करने के लिए चंदा देते आए हैं। 2013 में जब आम आदमी पार्टी ने अपने पहले विधानसभा चुनाव में हिस्सा लिया था, तब भी यही तरीका अपनाया गया था। उस समय लोग नुक्कड़ सभा के बाद एक चादर में पैसे डालते थे, जिसमें 10, 50 और 100 रुपये के छोटे-छोटे योगदान होते थे।
आतिशी ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी ने कभी भी बड़े-बड़े उद्योगपतियों से चंदा नहीं लिया, और यही कारण है कि पार्टी की राजनीति में ईमानदारी बरकरार है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिन दलों ने बड़े व्यापारियों से चंदा लिया, वे सरकार बनने के बाद केवल उन व्यापारियों के हितों की रक्षा करते हैं, जबकि आम आदमी पार्टी की सरकार हमेशा जनता के लिए काम करती है।
क्यों खास है आम आदमी पार्टी का तरीका?
आतिशी ने बताया कि अगर आम आदमी पार्टी ने उद्योगपतियों से चंदा लिया होता, तो वे उन उद्योगपतियों के हितों के खिलाफ काम नहीं कर पाती। उदाहरण के तौर पर दिल्ली में आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में जो स्कूल और अस्पताल बनवाए गए हैं, वे केवल आम लोगों के लिए हैं। अगर पार्टी ने इन सुविधाओं को देने वाले बड़े उद्योगपतियों से पैसे लिए होते, तो यह काम नहीं हो पाता। उन्होंने यह भी कहा कि आज दिल्ली में सैकड़ों करोड़ रुपये के स्कूलों और सड़कों का उद्घाटन हुआ है, और यह सब जनता के पैसों से संभव हुआ है।
बीजेपी की राजनीति पर तंज
आतिशी ने बीजेपी पर भी निशाना साधा और कहा कि बीजेपी की राजनीति पूरी तरह से पैसों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि बीजेपी पैसे से सत्ता हासिल करती है और सत्ता से फिर पैसा इकट्ठा करती है। बीजेपी को चुनाव लड़ने के लिए पैसे इकट्ठा करने की कोई चिंता नहीं है क्योंकि उनके पास पहले से ही उद्योगपतियों से मिले पैसे होते हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी की राजनीति बिल्कुल अलग है। उन्होंने बताया कि पार्टी के सदस्य अपनी सैलरी से घर चलाते हैं और उनके पास एक भी रुपया भ्रष्टाचार से नहीं आता।
बीजेपी के उम्मीदवारों पर सवाल
आतिशी ने यह भी कहा कि बीजेपी के पास इस बार चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं हैं, और इस कारण पार्टी को उम्मीदवारों की सूची तैयार करने में समय लग रहा है। उनके मुताबिक, यह सुनने में आ रहा है कि बीजेपी के बड़े नेता चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए उम्मीदवारों की घोषणा में देरी हो रही है।
जनता से अपील
आतिशी ने इस मौके पर जनता से अपील की कि वे उनके चुनाव अभियान को समर्थन दें। उन्होंने कहा, “हमने हमेशा जनता के पैसे से चुनाव लड़ा है और इस बार भी यही करेंगे। मुझे विश्वास है कि दिल्ली और देश के लोग मुझे इस अभियान में समर्थन देंगे।”
आखिरकार, आतिशी ने अपनी क्राउड फंडिंग की शुरुआत की और उम्मीद जताई कि उन्हें दिल्लीवासियों से पूरा समर्थन मिलेगा, ताकि वह अपने चुनावी अभियान को सफल बना सकें।