दिल्ली में बीजेपी सरकार की नई पारी की शुरुआत के साथ ही एक्शन का माहौल बन गया है। रेखा गुप्ता (CM Rekha Gupta) के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों के निजी स्टाफ की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। इसके अलावा दिल्ली सरकार ने अधिकारियों और कर्मचारियों के विभागों के मामलों में भी बड़ी कार्रवाई की है। यह कदम दिल्ली सरकार के चुनावी घोषणापत्र के तहत अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी रूप से नियुक्त करने के संकल्प के अनुरूप देखा जा रहा है।
बीजेपी सरकार का पहला एक्शन: निजी स्टाफ की सेवाएं खत्म
बीजेपी की नई दिल्ली सरकार ने दिल्ली के जनरल एडमिनिसट्रेशन डिपार्टमेंट (GAD) को एक निर्देश जारी किया है। इसके तहत, सभी विभागों से अस्थायी कर्मचारियों की लिस्ट मांगी गई थी, जिन्हें किसी सरकारी विभाग, बोर्ड या कॉर्पोरेशन में अस्थायी तौर पर काम पर रखा गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले हफ्ते (15-16 फरवरी) GAD ने सभी विभागों से उन कर्मचारियों के नाम मांगे थे, जो अस्थायी तौर पर काम कर रहे थे। सरकार का उद्देश्य इन अस्थायी कर्मचारियों की जगह स्थायी कर्मचारी नियुक्त करना है। सरकारी अधिकारियों का मानना है कि दिल्ली में 20,000 से अधिक अस्थायी कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनकी नियुक्ति स्थायी कर्मचारियों के रूप में की जा सकती है।
इसके अलावा, बीजेपी सरकार ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों के निजी स्टाफ की सेवाएं भी समाप्त कर दी हैं। ये कर्मचारी सरकारी विभागों में स्थायी तौर पर नियुक्त नहीं थे, लेकिन मुख्यमंत्री और मंत्रियों के व्यक्तिगत सहायक के रूप में काम करते थे। इन कर्मचारियों को ‘पर्सनल स्टाफ’ और ‘नॉन ऑफिशियल स्टाफ’ कहा जाता है। इनकी मुख्य भूमिका सरकार को सलाह देने और निर्णय लेने में मदद करना होता था। बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में 50,000 सरकारी नौकरियों का वादा किया था और अब इन अस्थायी कर्मचारियों को हटाने का कदम उसी वादे से जुड़ा हुआ माना जा रहा है।
मोहल्ला क्लीनिकों की होगी जांच
दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य और परिवहन विभाग में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। दिल्ली के नए स्वास्थ्य मंत्री पंकज कुमार सिंह ने एक अहम बैठक बुलाई है, जिसमें उन्होंने दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग की हालत पर चिंता जताई है। मंत्री पंकज कुमार सिंह ने घोषणा की है कि अब दिल्ली के सभी मोहल्ला क्लीनिकों की जांच की जाएगी, ताकि यह पता चल सके कि कहीं दवाओं की कमी तो नहीं है और डॉक्टर्स द्वारा दिए गए प्रिस्क्रिप्शन की भी समीक्षा की जाएगी। मंत्री ने कहा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से देखेगी, और जो भी गड़बड़ी सामने आएगी, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, दिल्ली सरकार ने आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत भी की है। इसके तहत, गरीब परिवारों के 10 लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस योजना में दिल्ली सरकार का योगदान 5 लाख रुपये और केंद्र सरकार का योगदान 5 लाख रुपये होगा। इससे दिल्ली के गरीब परिवारों को स्वास्थ्य सेवाओं की सस्ती और प्रभावी पहुंच मिलेगी।
परिवहन विभाग में गड़बड़ी की जांच
दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग में भी बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। परिवहन मंत्री पंकज कुमार सिंह ने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और घोषणा की है कि दिल्ली की डीटीसी बसों की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल 40 प्रतिशत बसें डिपो में खड़ी हैं, जो बिना इस्तेमाल के पड़ी हैं। इसके अलावा नई बसों की खरीद में भी कोई प्रगति नहीं दिखी है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि अगर गड़बड़ी पाई जाती है, तो कार्रवाई की जाएगी।
इस कदम को दिल्ली सरकार की नई कार्यशैली के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें सभी विभागों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी सरकार की यह कार्रवाई दिल्लीवासियों को बेहतर सेवा देने के लिए उठाए गए कदम के रूप में देखी जा रही है।