वाराणसी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी परिसर को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी को आज लोग मस्जिद के रूप में जानते हैं, लेकिन असल में वह साक्षात भगवान विश्वनाथ ही हैं।
ज्ञानवापी और आदि शंकराचार्य की कथा
एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए सीएम योगी ने कहा, “जब आचार्य आदि शंकर अपने अद्वैत ज्ञान के साथ काशी आए, तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेने का निर्णय किया। एक दिन जब आदि शंकर प्रातःकाल गंगा स्नान के लिए गंगा नदी की ओर जा रहे थे, तब भगवान विश्वनाथ एक चंडाल के रूप में उनके सामने खड़े हो गए।”
योगी ने आगे बताया कि चंडाल के रूप में खड़ा व्यक्ति आदि शंकर से कहता है, “आप अपने आप को अद्वैत ज्ञान का विशेषज्ञ मानते हैं। आप किसे हटाना चाहते हैं? क्या आपका ज्ञान इस भौतिक शरीर को देख रहा है या इस शरीर के अंदर बसे ब्रह्म को? अगर ब्रह्म सत्य है, तो वही ब्रह्म मेरे अंदर भी है। अगर आप इस ब्रह्म को ठुकरा रहे हैं, तो इसका मतलब आपका ज्ञान सत्य नहीं है।”
सीएम योगी ने कहा कि आदि शंकर ने चंडाल से यह पूछने के बाद कि वह कौन हैं, चंडाल ने उत्तर दिया, “आप जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए आए हैं, दुर्भाग्यवश वह आज मस्जिद के रूप में जाना जाता है। लेकिन सच्चाई यह है कि वही ज्ञानवापी साक्षात भगवान विश्वनाथ हैं। जिस ज्ञानवापी की उपासना के लिए आप यहां आए हैं, वही मैं हूं।”
इस उत्तर को सुनकर आदि शंकर ने भगवान विश्वनाथ के सामने नतमस्तक हो गए और उन्हें एहसास हुआ कि भौतिक अस्पृश्यता केवल साधना की ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और अखंडता की भी सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने महसूस किया कि अगर समाज ने इस बाधा को पहले ही समझ लिया होता, तो देश कभी गुलाम नहीं होता।