उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के बीच समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। हाल ही में गाजियाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम योगी ने अखिलेश पर करारा हमला किया और उनके संस्कारों का जिक्र करते हुए कहा कि ये उनके संस्कार हैं जो भारत की संत परंपरा को माफिया कहते हैं।
योगी का जवाब: माफियाओं के सामने नतमस्तक
सीएम योगी ने कहा, “माफियाओं के सामने नाक रगड़ने वाला और दंगाइयों के सामने घुटने टेकने वाला व्यक्ति आज भारत की संत परंपरा को माफिया कहता है। ये उनके संस्कार हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश यादव में औरंगजेब की आत्मा घुस गई है, जो उन्हें हिंदू विरोधी आचरण के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
सपा का असली चेहरा
सीएम योगी ने आगे कहा कि अगर कोई सपा का सही चेहरा देखना चाहता है, तो उसे भदरसा में सपा नेता मोइद खान के कृत्य और कन्नौज में नवाब सिंह यादव द्वारा की गई हरकतों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने 2017 से पहले की सपा सरकार को याद करते हुए कहा कि उस समय यूपी में अराजकता का माहौल था। महिलाएं असुरक्षित थीं और गुंडा टैक्स लेने वाले लोगों के सामने सरकार के लोग नतमस्तक रहते थे।
अखिलेश का आरोप: फर्जी एनकाउंटर
इससे पहले, अखिलेश यादव ने सीएम योगी पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाते हुए कहा था कि मठाधीश और माफिया में कोई खास अंतर नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी चुनाव हारने के बाद गुस्से में हैं और प्रदेश को एनकाउंटर की राजधानी बना दिया है। यादव ने कहा, “नकारात्मक दिल और दिमाग वाले लोग केवल विनाश ही कर सकते हैं, विकास नहीं।”
साधु संतों की आपत्ति
अखिलेश के मठाधीश वाले बयान पर साधु संतों ने कड़ी आपत्ति जताई है। इसके बाद उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर उनके बयान का विरोध देखने को मिला। इससे साफ है कि यह मामला केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि धार्मिक और सामाजिक भी बनता जा रहा है।
यह विवाद यूपी की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे रहा है। सीएम योगी का बयान इस बात को स्पष्ट करता है कि वे सपा के खिलाफ एकजुटता के साथ खड़े हैं और किसी भी तरह के हमले का जवाब देने के लिए तैयार हैं। दूसरी ओर, अखिलेश यादव भी अपनी बात रखने में पीछे नहीं हट रहे हैं। अब देखना यह होगा कि यह राजनीतिक शोरगुल आगे चलकर क्या रूप लेता है और किस पार्टी को इसका अधिक लाभ मिलता है।