उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। चुनावी रण में सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। जहां एक ओर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) मिलकर चुनावी मैदान में उतर रही हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी आरएलडी के साथ मिलकर उपचुनाव लड़ेगी। इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रचार अभियान जोर-शोर से शुरू होने वाला है।
मतदान और नतीजों की तारीखें
उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के लिए मतदान 13 नवंबर को होगा, जबकि चुनाव परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इस चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 18 रैलियों को संबोधित करेंगे, जिससे प्रत्येक विधानसभा सीट पर सीएम की दो-दो रैलियां आयोजित की जाएंगी। इसके अलावा, वह कई जनसभाएं भी करेंगे।
योगी के साथ डिप्टी सीएम भी मैदान में
सीएम योगी आदित्यनाथ के अलावा, उत्तर प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम, ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य भी रैलियों में भाग लेंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी अपनी रैलियों के जरिए पार्टी का पक्ष मजबूत करने का प्रयास करेंगे। इसके साथ ही, महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह संगठनात्मक बैठकों का आयोजन करेंगे।
माहौल बनाने में जुटे मंत्री
मुख्यमंत्री की रैलियों से पहले यूपी के भाजपा मंत्री माहौल बनाने का काम करेंगे। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पार्टी का संदेश चुनावी मैदान में मजबूती से पहुंचे। भाजपा ने उपचुनाव के लिए अपनी पूरी रणनीति तैयार कर ली है, और वोटर्स को साधने के लिए विभिन्न प्रयास शुरू कर दिए हैं।
कांग्रेस-सपा का गठबंधन और बसपा की स्थिति
वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस और सपा ने मिलकर उपचुनाव लड़ने की योजना बनाई है। इस गठबंधन के तहत, कांग्रेस के पास गाजियाबाद और खैर की दो सीटें हैं, जबकि सपा ने 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके अलावा, मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी सभी 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने का निर्णय लिया है।
चुनाव में मुकाबला किसके बीच होगा?
अब सवाल ये है कि इस उपचुनाव में किस पार्टी का जोर चलता है। भाजपा ने अपनी रणनीति के अनुसार प्रचार में तेजी लाने का फैसला किया है, वहीं कांग्रेस और सपा का गठबंधन भी विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है। बसपा भी अपनी चुनावी जमीन मजबूत करने की कोशिश में जुटी हुई है।
जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, सभी पार्टियों का ध्यान इस बात पर है कि किस प्रकार से वे मतदाताओं को आकर्षित कर पाती हैं। यूपी के उपचुनाव का परिणाम न केवल प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि लोकसभा चुनावों के लिए भी महत्वपूर्ण संकेत देगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनाव में कौन सी पार्टी अपनी ताकत साबित कर पाती है।