दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सियासी माहौल गरमाता जा रहा है। कांग्रेस पार्टी के कई नेता जहां आम आदमी पार्टी (आप) को निशाने पर ले रहे हैं, वहीं संदीप दीक्षित ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) और समाजवादी पार्टी (सपा) को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने दिल्ली की सियासत में इन दोनों दलों के “वजूद” पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि इनका कोई जनाधार नहीं है। उनका यह बयान दिल्ली में कांग्रेस और आप के बीच बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच आया है।
संदीप दीक्षित का बयान – “TMC और सपा का कोई वजूद नहीं”
नई दिल्ली से कांग्रेस के उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने कहा, “दिल्ली में आप और तृणमूल कांग्रेस का कोई जनाधार नहीं है। ये पार्टियां सिर्फ इस चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए दूसरे दलों का समर्थन पाने की कोशिश कर रही हैं। अब उन्हें जिसे समर्थन देना है, वे दें, लेकिन दिल्ली की सियासत में इनका कोई असर नहीं पड़ेगा।” दीक्षित का यह बयान तब आया है, जब दिल्ली के चुनावी माहौल में सपा और तृणमूल कांग्रेस के समर्थन से आम आदमी पार्टी को एक नई ताकत मिल सकती थी।
कांग्रेस नेताओं का बड़बोलापन और उसका असर
इससे पहले भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव को लेकर एक विवादास्पद टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि अखिलेश यादव का मध्य प्रदेश में कोई जनाधार नहीं है। हालांकि, विधानसभा चुनाव में हार के बाद लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने सपा को मध्य प्रदेश में एक सीट दी थी, जो राजनीतिक गठबंधन की ओर इशारा करता है। इस तरह के बड़बोलापन के बयान कांग्रेस के लिए कभी फायदेमंद नहीं साबित हुए हैं, क्योंकि इसके बाद पार्टी को अपने सहयोगियों से भी समर्थन हासिल करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा है।
हरियाणा चुनावों में भी बड़बोलापन का नुकसान
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के नेताओं का बड़बोलापन भारी पड़ा था। सपा और आप, दोनों ही कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतरना चाहती थीं। हालांकि, कांग्रेस के कद्दावर नेता भूपिंदर हुड्डा ने स्थानीय जनाधार का हवाला देते हुए अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल को सीट देने से मना कर दिया था। इस पर कांग्रेस को अपने गठबंधन को लेकर असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था और पार्टी को हरियाणा में हार का सामना करना पड़ा। बाद में यह कहा गया कि यदि हुड्डा अपने सहयोगी दलों को महत्व देते, तो कांग्रेस हरियाणा में चुनाव जीत सकती थी।
दिल्ली में सपा और TMC का समर्थन और इसके संभावित प्रभाव
अब दिल्ली में संदीप दीक्षित ने सपा और तृणमूल कांग्रेस के वजूद को खारिज कर दिया है। उनके इस बयान को चुनाव के दौरान बड़बोलेपन के तौर पर देखा जा रहा है। एक तरफ जहां सपा ने दिल्ली में चुनाव नहीं लड़ा है, लेकिन उसके समर्थन से यादव और मुस्लिम मतदाता एकतरफा आप की ओर खिसक सकते हैं। वहीं, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस का समर्थन मिलने से बंगाली मतदाता आम आदमी पार्टी के पक्ष में जा सकते हैं। दिल्ली में बंगाली वोटरों की संख्या करीब 3 लाख के आसपास है, और यदि ये वोटर आप के पक्ष में आते हैं, तो इसका सीधा फायदा पार्टी को हो सकता है।
हालांकि, दीक्षित के इस बयान से दिल्ली की सियासत में एक नई हलचल मच सकती है। अब सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस का यह बड़बोलापन पार्टी को चुनावी लाभ दिला पाएगा या यह उसके सहयोगियों को नाराज कर उसे नुकसान पहुंचाएगा। कांग्रेस को अपने सहयोगी दलों के साथ सही तालमेल बनाना होगा, ताकि दिल्ली के चुनावी समीकरण में कोई बड़ा उलटफेर न हो।