मप्र सरकार का कर्जमाफी ऐलान छलावा, आंदोलित हुए किसान संगठन
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही किसानों की कर्जमाफी का फैसला तो कर दिया लेकिन अनुपूरक बजट में कर्ज माफी के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किए. किसानों की कर्जमाफ़ी के लिए सरकार को 35 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है, लेकिन अभी तक सरकारी खजाने में पांच हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था ही हो सकी है. कर्जमाफ़ी में देरी की वजह से विभिन्न किसान संगठन नाराज हैं. जिसके चलते अब किसानों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन का मूड बना लिया है.
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कमलनाथ ने सबसे पहले कर्ज माफी की फाइल पर हस्ताक्षर किए थे. इसके बाद किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ करने के अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिये गए थे. माना जा रहा है कि लगभग 33 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मिलेगा. हालांकि अनुपूरक बजट में की गई व्यवस्था से स्पष्ट है कि सरकार खाली खजाने में से इससे अधिक रकम कर्ज माफी के लिए नहीं निकाल सकती थी.
हमलावर हुई भाजपा
भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कमलनाथ सरकार पर तंज़ कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने वचन पत्र में जो वादा किया, उसके मुताबिक नियमित और डिफॉल्टर किसानों के सभी प्रकार के लोन माफ करना था. इसके लिए पांच हजार करोड़ ऊंट के मुंह में जीरा समान है. उन्होने कहा कि सरकार दस दिन के बजाय सौ दिन में भी सौ किसानों की कर्ज माफ होने की प्रक्रिया का पालन नहीं कर पा रही है.
मंत्रियों ने संभाली कमान
प्रदेश में किसान कर्जमाफी की योजना को सफल बनाने के लिए कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने कमान संभाल ली है. आवेदन करने के लिए सरकार ने किसानों के लिए प्रोफॉर्मा भी जारी कर दिया है. प्रोफ़ार्मा पर सीएम कमलनाथ की फोटो लगी है. कर्जमाफी के आवेदन पत्र को भरकर किसान कर्जमाफी की प्रकिया में शामिल हो सकते हैं.
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लोकसभा चुनाव से पहले कर्जमाफी की प्रकिया को सफल बनाने और लोकसभा चुनाव में इसका फायदा पार्टी को दिलाने के लिए मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी है.