भोपाल: विधानसभा चुनाव में किए गए कर्ज माफी के वादे ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की कई जगह बोलती बंद की है। कारण चाहे जो भी रहे हों, सभी पात्र किसानों का कर्ज माफ नहीं कर पाने की वजह से पार्टी को हर चरण के चुनाव में मुश्किल हुई है। राज्य की 8 सीटों के लिए अंतिम चरण (19 मई) के चुनाव में भी कांग्रेस कर्ज माफी को लेकर किसानों की नाराजगी से जूझ रही है। इस वादे को पूरा करने में देरी की वजह से राहुल गांधी के 72000 रुपए सालाना वाले वादे पर गांवों में वैसा विास नहीं किया गया जैसा कांग्रेस ने अनुमान लगाया था।
कांग्रेस ने 72000 रु पए वाले वादे के होर्डिंग और पोस्टर बहुत लगाए पर इस पर चुनाव के अंतिम तीन चरणों में र्चचा एकदम से समाप्त ही हो गई। उज्जैन में 70 फीसद आबादी गांव में बसती है और यह महाकाल ज्योतिर्लिंग की वजह से धार्मिंक महत्व भी रखता है। इसी तरह से बची सीटों में इंदौर को छोड़कर खरगौन, खंडवा, मंदसौर, रतलाम, धार भी ऐसी सीटें हैं जहां किसान और ग्रामीण आबादी बहुत है। जिनके बीच किसानों की कर्ज माफी बड़ा मुद्दा बन गया है।
रिपोर्ट में हुआ खुलासा, बड़ी संख्या में भारत छोड़कर जा रहे हैं करोड़पति लोग
रतलाम में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया पांच महीने पहले अपने बेटे को विधानसभा चुनाव जिताने में नाकाम रहे थे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने दोनों ने यहां सभा रखी है। मतदाताओं पर किसका असर होगा इसका पता पहले तो सभाओं की भीड़ और फिर नतीजे से पता चलेगा। मंदसौर जहां पिछली भाजपा सरकार में बड़ी संख्या में किसानों की पुलिस की गोलियों से मौत हुई थी, राहुल गांधी ने वहां पहुंचकर इसे बड़ा मुद्दा भी बनाया था। फिर भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नहीं जीत सकी थी। राहुल की करीबी कांग्रेस उम्मीदवार मीनाक्षी नटराजन क्षेत्र से सम्पर्क नहीं रखने के साथ-साथ कर्ज माफी का वादा पूरा नहीं होने से संकट में हैं।