हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने एक नया कदम उठाया है, जिसमें अब खाने-पीने की चीजें बेचने वाले स्ट्रीट वेंडर्स को अपनी पहचान बताने के लिए नेमप्लेट लगानी होगी। यह फैसला उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की पॉलिसी के तर्ज पर लिया गया है।
सुक्खू सरकार ने यह कदम तब उठाया जब कई शिकायतें मिलीं। नई पॉलिसी के अनुसार, रेहड़ी-फड़ी वालों को अपने आईडी कार्ड दिखाना होगा। इसके अलावा, उन्हें अपनी रेहड़ी पर भी नेमप्लेट लगानी होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ग्राहक सुरक्षित और विश्वसनीय तरीके से खरीदारी कर सकें।
आईडी कार्ड जारी करने का काम स्ट्रीट वेंडिंग कमेटी करेगी। मंत्री विक्रमादित्य ने बताया कि इस प्रक्रिया से रेहड़ी-फड़ी लगाने वालों को अपनी पहचान साझा करनी होगी। शिमला में हुई एक बैठक में यह फैसला लिया गया, जहां कई लोगों ने अपनी चिंताओं को उठाया था।
इस नीति का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं की सुरक्षा और स्वच्छता को बढ़ावा देना है। जब वेंडरों की पहचान स्पष्ट होगी, तो लोग उनकी सेवाओं का इस्तेमाल ज्यादा सहजता से कर सकेंगे। यह सरकार की कोशिशों का एक हिस्सा है, जिससे अनियोजित वेंडिंग को नियंत्रित किया जा सके।
इस नए नियम से उपभोक्ताओं को सुरक्षा मिलेगी और वेंडरों को पहचान मिलेगी। हालांकि, इस पॉलिसी के लागू करने में कुछ चुनौतियाँ भी आ सकती हैं, जैसे कि छोटे विक्रेताओं को आईडी और नेमप्लेट की लागत उठानी पड़ सकती है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह प्रक्रिया सरल हो।
हिमाचल प्रदेश की सरकार का यह फैसला स्ट्रीट वेंडर्स को एक सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से काम करने का मौका देगा। आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नीति कितनी प्रभावी होती है। इस तरह के नियमों के जरिए सरकार ने वेंडिंग को एक औपचारिक रूप देने की कोशिश की है, जिससे विक्रेताओं और उपभोक्ताओं दोनों का हित सुनिश्चित हो सके।