दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में एक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। इस बार कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, ताकि दिल्ली के चुनावी रण में अपनी खोई हुई जमीन वापस पा सके। कांग्रेस का पूरा फोकस इस बात पर है कि वो अपने पुराने वोटबैंक को वापस लाए, जो 2013 के बाद से आम आदमी पार्टी (AAP) के पास चला गया था। अब सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस अपने खोए वोट वापस ला पाएगी और इससे आम आदमी पार्टी को कितना नुकसान होगा?
आखिरकार, कांग्रेस का जो लक्ष्य है, वही बड़ा सवाल भी है। अगर कांग्रेस के वोट बढ़ते हैं, तो इसका असर सीधे आम आदमी पार्टी की सियासी सेहत पर पड़ेगा। आइए समझते हैं पूरी सियासी रणनीति और क्या कांग्रेस को कितने वोट लाने होंगे ताकि AAP को मुश्किल हो।
कांग्रेस की नई रणनीति: AAP को घेरने की तैयारी
कांग्रेस ने इस बार दिल्ली में अपनी पूरी ताकत लगाई है। पार्टी ने दिल्ली चुनाव को लेकर अपनी रणनीति में बड़े बदलाव किए हैं। खासकर, कांग्रेस ने इस बार दलित और मुस्लिम समुदाय के वोट को अपने पक्ष में करने की योजना बनाई है। इसके अलावा, कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं, खासकर अरविंद केजरीवाल पर हमला बोलने की रणनीति बनाई है।
कांग्रेस के बड़े नेता जैसे मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चुनाव प्रचार में जोर-शोर से जुटे हैं। खास बात यह है कि राहुल गांधी दिल्ली की नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रचार करेंगे। इसके अलावा, राहुल गांधी दिल्ली में 3 दिनों तक प्रचार करेंगे, जिससे कांग्रेस को करीब 20 सीटों पर जीत की उम्मीद है।
क्या कांग्रेस के 10 लाख वोट AAP की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस को दिल्ली विधानसभा चुनाव में कितने वोट लाने होंगे, जिससे आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ जाएं। 2020 के चुनाव में कांग्रेस को केवल 2 लाख वोट मिले थे और पार्टी को शून्य सीटें मिली थीं। वहीं, आम आदमी पार्टी को 49 लाख वोट मिले थे और 62 सीटों पर जीत हासिल की थी।
इस बार, दिल्ली में कुल 1.5 करोड़ मतदाता हैं और चुनाव आयोग का अनुमान है कि इस बार करीब 1 करोड़ वोट पड़ सकते हैं। वोटिंग का प्रतिशत लगभग 70% के आसपास रहने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कांग्रेस 10 लाख से ज्यादा वोट लाने में सफल होती है, तो आम आदमी पार्टी की परेशानियां बढ़ सकती हैं। 2020 में AAP और बीजेपी के बीच वोटों का अंतर 12 लाख था। इस बार बीजेपी ने भी अपनी चुनावी रणनीति को मजबूत किया है और वह कांग्रेस से ज्यादा वोट लाने की पूरी कोशिश करेगी। ऐसे में अगर कांग्रेस 10 से 12 लाख वोट लाती है, तो इसका असर सीधे AAP की सियासी सेहत पर पड़ेगा।
2013 के बाद कांग्रेस के वोटों में गिरावट
कांग्रेस की स्थिति 2013 के चुनाव के बाद से लगातार खराब होती गई है। 2013 में कांग्रेस को 19 लाख वोट मिले थे, जबकि आम आदमी पार्टी को 23 लाख वोट मिले थे और पार्टी ने 28 सीटें जीती थीं। फिर 2015 और 2020 में कांग्रेस का वोट बैंक और सीटें घटते गए। 2015 में कांग्रेस की सीटें घटकर 0 हो गईं और पार्टी को सिर्फ 8.5 लाख वोट मिले।
2020 में तो कांग्रेस को सिर्फ 2 लाख वोट ही मिले और AAP को 49 लाख वोट मिले थे। इससे साफ है कि पिछले कुछ सालों में कांग्रेस का वोट बैंक आम आदमी पार्टी की तरफ शिफ्ट हो चुका है। अब देखना यह है कि क्या कांग्रेस इस बार अपनी खोई हुई सीटों और वोटबैंक को वापस पा सकती है?
बीजेपी का वोट शेयर: क्या AAP को चुनौती मिलेगी?
बीजेपी की वोट शेयर में पिछले कुछ चुनावों में काफी वृद्धि हुई है। 2008 के चुनाव में बीजेपी को 22.4 लाख वोट मिले थे, जबकि 2013 में यह संख्या बढ़कर 26 लाख हो गई थी। फिर 2015 में बीजेपी को 29 लाख वोट मिले, जबकि पार्टी की सीटें कम हो गईं। 2020 में बीजेपी को 37 लाख वोट मिले और पार्टी के सीटों की संख्या भी बढ़ी।
इससे साफ है कि बीजेपी का वोट शेयर लगातार बढ़ रहा है, जो इस बार के चुनाव में भी दिख सकता है। बीजेपी की मजबूत स्थिति के कारण यह AAP के लिए परेशानी का कारण बन सकती है। अगर बीजेपी और कांग्रेस मिलकर कुछ सीटों पर AAP से मुकाबला करती हैं, तो AAP की सीटों पर असर पड़ सकता है।
क्या कांग्रेस की 10-12% वोट शेयर से AAP को नुकसान होगा?
दिल्ली के चुनावी इतिहास को देखें, तो पिछले चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर काफी घटा है। 2013 में कांग्रेस को 19 लाख वोट मिले थे, जबकि AAP को 23 लाख वोट मिले थे। 2015 और 2020 में AAP का वोट शेयर लगातार बढ़ा, जबकि कांग्रेस का वोट शेयर घटता गया।
अगर कांग्रेस इस बार 10 से 12 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल होती है, तो यह सीधे तौर पर आम आदमी पार्टी की सियासी सेहत पर असर डालेगा। इस वोट शेयर से AAP के वोट में कमी आ सकती है, जो कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा।
क्या होगा अगले चुनाव में?
2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। पार्टी की कोशिश है कि वह अपना खोया वोट बैंक वापस पाए और आम आदमी पार्टी को एक चुनौती दे सके। हालांकि, दिल्ली में बीजेपी और AAP दोनों का मजबूत वोट बैंक है, जिससे कांग्रेस के लिए यह मुकाबला आसान नहीं होगा।
अगर कांग्रेस इस बार 10 लाख से ज्यादा वोट हासिल करती है, तो आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अगर पार्टी अपनी रणनीति को सही तरीके से लागू करती है, तो वह दिल्ली में एक मजबूत चुनौती पेश कर सकती है।
इसलिए, कांग्रेस के लिए यह चुनाव किसी भी पार्टी के लिए जीतने जैसा हो सकता है, लेकिन इसके लिए पार्टी को अपने पुराने वोट बैंक को वापस लाने की रणनीति पर पूरी तरह से काम करना होगा।