कांग्रेस पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद अपने अहम अभियान ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ की शुरुआत की तारीख में बदलाव किया है। पहले यह अभियान 27 दिसंबर से शुरू होने वाला था, लेकिन पूर्व पीएम के निधन के कारण पार्टी को कार्यक्रम रद्द करना पड़ा। अब इस अभियान की शुरुआत 4 या 5 जनवरी को होगी। खास बात यह है कि इस अभियान में न सिर्फ भारतीय राजनीति के कई अहम मुद्दों को उठाया जाएगा, बल्कि इसमें मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके साथ हुई अनदेखी को भी प्रमुखता से रखा जाएगा।
पूर्व पीएम के निधन के बाद बदली तारीख
कांग्रेस पार्टी का ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ अभियान पहले 27 दिसंबर को शुरू होने वाला था, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के कारण पार्टी को सभी कार्यक्रम स्थगित करने पड़े। पार्टी ने यह निर्णय लिया कि अब 4 या 5 जनवरी को इस अभियान की शुरुआत की जाएगी। इस दौरान कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा पारित प्रस्तावों को जनता के बीच रखा जाएगा।
अभी के एजेंडे में क्या होगा खास?
कांग्रेस इस अभियान के दौरान कुछ प्रमुख मुद्दों को उठाने वाली है, जिनमें सबसे अहम है गृहमंत्री अमित शाह का आंबेडकर के प्रति कथित अपमान और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी। पार्टी का कहना है कि अमित शाह ने जो बयान दिया था, उससे आंबेडकर का अनादर हुआ है और उनके खिलाफ माफी मांगनी चाहिए। इसके साथ ही चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए जाएंगे, जिसमें चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को प्रमुख मुद्दा बनाया जाएगा।
मनमोहन सिंह की अनदेखी पर कांग्रेस का हमला
कांग्रेस ने अब अपने अभियान में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके साथ किए गए ‘अनादर’ को भी शामिल करने का फैसला किया है। पार्टी का आरोप है कि मनमोहन सिंह का उचित सम्मान नहीं दिया गया, खासकर जब उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया गया और उन्हें राजघाट के पास अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं दी गई। पार्टी ने इसे सरकार की ओर से पूर्व पीएम का अनादर बताया है और इस मुद्दे को अभियान में शामिल किया है।
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भी सरकार पर आरोप लगाया कि उसने पूर्व प्रधानमंत्री का अनादर किया है और उन्हें सही सम्मान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के योगदान को याद करते हुए सरकार को उनकी सच्ची श्रद्धांजलि देनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
कांग्रेस का बीजेपी पर हमला
कांग्रेस पार्टी को यह विश्वास है कि इस अभियान के जरिए वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) को आंबेडकर और संविधान के मुद्दे पर घेर सकती है। पार्टी का कहना है कि जब से अमित शाह ने आंबेडकर के बारे में विवादास्पद बयान दिए हैं, तब से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ी हैं। कांग्रेस अब इस मुद्दे को चुनावों में बीजेपी के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि संविधान और आंबेडकर को लेकर बीजेपी का रवैया बहुत ही खराब है, और यह पार्टी का एक अहम मुद्दा होगा।
संविधान बचाओ अभियान की तैयारी
कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की है कि संविधान लागू होने के 75 साल पूरे होने पर 26 जनवरी 2026 को मध्य प्रदेश के महू (आंबेडकर की जन्मस्थली) में एक बड़ी रैली का आयोजन किया जाएगा। इस रैली में पार्टी ‘संविधान बचाओ’ अभियान की शुरुआत करेगी। इसके साथ ही, देशभर में 26 जनवरी से लेकर 2026 तक समय-समय पर पदयात्राएं निकाली जाएंगी। कांग्रेस पार्टी का मानना है कि संविधान के खिलाफ जो भी साजिशें हो रही हैं, उन्हें जनता के बीच उठाकर ही बीजेपी को घेरा जा सकता है।
महंगाई, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दे पर भी कांग्रेस की तैयारी
कांग्रेस पार्टी के इस अभियान में महंगाई, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दों को भी प्रमुखता से उठाया जाएगा। पार्टी का कहना है कि वर्तमान सरकार इन मुद्दों पर गंभीर नहीं है और यह सरकार सिर्फ अपने फायदे के लिए काम कर रही है। कांग्रेस अपने इस अभियान के जरिए इन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जागरूकता फैलाने की कोशिश करेगी और अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की दिशा में काम करेगी।
बड़े चुनावी मुद्दे: बीजेपी को घेरने की रणनीति
कांग्रेस को लगता है कि यह अभियान बीजेपी के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करने का एक शानदार मौका है। पार्टी के नेता मानते हैं कि जब आंबेडकर और संविधान के मुद्दे को लेकर बीजेपी को घेरा जाएगा, तो जनता में एक खास संदेश जाएगा और उनकी छवि को नुकसान होगा। कांग्रेस पार्टी 4 या 5 जनवरी को इस अभियान की शुरुआत के बाद, पूरे देश में विभिन्न राज्यों में कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रही है। इसके तहत पार्टी अपनी प्रमुख नीतियों और मुद्दों को लेकर जनता से सीधा संवाद करेगी।