कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक सभा को संबोधित करते हुए दलितों की स्थिति को लेकर बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि “जिन हाथों में हुनर है, उन्हें पीछे बैठा दिया जाता है।” राहुल गांधी का यह बयान उस समय आया जब उन्होंने देश में दलितों और पिछड़ों के इतिहास और उनके साथ हो रहे भेदभाव का जिक्र किया।
हुनरमंद लोगों का अनदेखा होना
राहुल गांधी ने सभा में कहा कि जब उन्होंने ओबीसी समुदाय के स्वप्निल कुम्हार से हाथ मिलाया, तो उन्हें यह महसूस हुआ कि “उनके हाथ में हुनर है।” लेकिन, ऐसे हुनरमंद लोगों को समाज में उचित स्थान नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि “जिनके हाथ में हुनर होता है, उन्हें पीछे बैठा दिया जाता है।” यह स्थिति आज भी चल रही है, और स्कूलों में दलितों और पिछड़ों का इतिहास नहीं पढ़ाया जाता।
शिक्षा में भेदभाव का मुद्दा
राहुल गांधी ने आगे कहा कि शिक्षा में भी भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि “शैक्षणिक संस्थान को कौन नियंत्रित करता है?” उन्होंने बताया कि आजकल शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है, जिससे गरीब बच्चों को डॉक्टर या वकील बनने का सपना देखना मुश्किल हो गया है।
सपनों की कीमत और हकीकत
राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि कई बच्चे यह सपना देखते हैं कि वे डॉक्टर-इंजीनियर बनेंगे, लेकिन “हमारा देश उनसे झूठ बोल रहा है।” उन्होंने सवाल किया कि कितने प्रतिशत इंजीनियर और डॉक्टर वास्तविकता में बन पा रहे हैं, और यह भी बताया कि इन सपनों को पूरा करने के लिए लाखों रुपये की जरूरत पड़ती है।
इतिहास की पुनर्रचना का आरोप
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि “आज भी छुआछूत की समस्या है,” लेकिन संघ के नेता इससे इनकार करते हैं। उन्होंने चक्रव्यूह का उदाहरण देते हुए कहा कि “इसे आज भी वही छह लोग चला रहे हैं,” जो देश के इतिहास को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।