congress presidential election 2022: मल्लिकार्जुन खड़गे ने शशि थरूर को दी मात , कांग्रेस पार्टी के बने नए अध्यक्ष

मल्लिकार्जुन खड़गे ने शशि थरूर को दी मात , कांग्रेस पार्टी के बने नए अध्यक्ष

Mallikarjun Kharge : अंततः कांग्रेस को नया पार्टी प्रेसिडेंट मिल गया है. 80 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के मुखिया चुने गए है .पूर्व केंद्रीय मंत्री खड़गे ने सीधे मुकाबले में पार्टी के दिग्गज नेता शर्शी थरूर को बारी मात दी है. खड़गे को कुल 7897 मत प्राप्त हुए, इस बार गांधी घराने से इस मुकाबले में कोई व्यक्ति नहीं था. ऐसा बीते 24 सालों मे पहली दफा हुआ है जब गांधी परिवार से इतर कोई व्यक्ति पार्टी के सर्वोच्च पद पर आसीन हुआ है . इससे पूर्व सीताराम केसरी गैर गांधी परिवार के अध्यक्ष चुने गए थे .

कांग्रेस हेडक्वार्टर के बाहर खड़गे के विजय का जश्न प्रारंभ हो चुका है. मल्लिकार्जुन के समर्थक ढोल नगाड़ों के साथ उनके इस शानदार विजय को एक त्योहार की तरह मना रहे हैं. जीत के पश्चात खड़गे से मिलने राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट, गौरव गोगोई, तारिक अनवर जैसे बड़े नेता पहुंचे हैं. इनके अतिरिक्त बड़ी तादाद में कार्यकर्ता उनके घर पहुंचे हैं. खड़गे के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे शशि थरूर ने भी उन्हें जीत की कोटि कोटिबधाई दी. थरूर ने एक ट्वीट कर कहा कि “ये काफी सम्मान और बड़ी जिम्मेदारी की बात है. मैं खड़गे जी के लिए उनके इस काम में सफलता की कामना करता हूं.” इसके अतिरिक्त खड़गे ने उन्हें मिले सपोर्ट को लेकर भी कांग्रेस नेताओं का शुक्रिया अदा  दिया है. 

मल्लिकार्जुन खड़गे की राजनीति में अब तक सफर 

पूर्व केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं. वह 80 वर्षीय है और कई सालों से वो सक्रिय सियासत में अपना पैर जमाए हुए हैं. खड़गे को गांधी घराने का बेहद करीबी बताया जाता है. खड़गे कर्नाटक के बीदर से आते हैं. उन्होंने कला में स्नातक और  कानून (LLB) की पढ़ाई की है और पेशे से वकील की भी भूमिका निभा चुके हैं.

खड़गे सबसे पहले 1969 में कर्नाटक के गुलबर्ग सिटी कांग्रेस के प्रेसिडेंट बने थे. इसके पश्चात 1972 में पहली बार निर्वाचित होकर विधानसभा गए. तब से लेकर 2009 तक वो कुल 9 बार एमएलए रहे. 1976 में वो पहली बार कर्नाटक के मंत्रीमंडल में शामिल हुए. खड़गे को 1988 में कर्नाटक राज्य कांग्रेस समिति का उपाध्यक्ष चुना गया. 2005 में वो कर्नाटक राज्य कांग्रेस समिति के प्रेसिडेंट बने. इसके पश्चात वो अनेक बड़े पदों पर सुशोभित रहे.

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