लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस को एक और झटका लगा है. आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट बंटवारे पर आम सहमति नहीं बन पाई है, जिसके बाद कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन की डोर अब टूट गई है. इंडिया गठबंधन में शामिल आरएलडी पहले ही अलग हो चुकी थी. अब समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस से किनारा कर इंडिया गठबंधन के टूटने का संकेत दे दिया है.
सीट शेयरिंग पर फंसा पेंच न सुलझने के बाद अखिलेश यादव ने कहा है कि वे राहुल गांधी की यात्रा में शामिल नहीं होंगे. इससे आशंका जताई जा रही है कि यूपी में इंडिया गठबंधन की डोर टूट गई है. पिछले कई महीनों से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंसा हुआ था. एक दिन पहले अखिलेश यादव ने बताया था कि सीट शेयरिंग पर मामला फंसा है.
अखिलेश यादव ने कहा था कि अगर कांग्रेस की ओर से पेंच सुलझा लिया जाता है, तो मैं राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में शामिल होने जाऊंगा. अब आज खबर आई है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कांग्रेस से किनारा कर लिया है. वे उत्तर प्रदेश में जारी राहुल गांधी की यात्रा में शामिल नहीं होंगे. उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन की डोर उस वक्त टूटी है, जब राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ उत्तर प्रदेश से गुजर रही है. आज शाम राहुल गांधी की यात्रा लखनऊ पहुंचेगी.
सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच मुरादाबाद मंडल की तीन सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा था. सोमवार देर रात दोनों पार्टियों के बीच बातचीत भी हुई, लेकिन आम सहमति नहीं बन पाई. इससे पहले अखिलेश यादव बार-बार बता चुके थे कि समाजवादी पार्टी, राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में तब तक शामिल नहीं होगी, जब तक कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे के समझौते को अंतिम रूप नहीं दे दिया जाता.
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से बिजनौर सीट भी मांगी थी, लेकिन समाजवादी पार्टी कांग्रेस को ये सीट देने को तैयार नहीं थी, जिससे दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे पर पेंच फंस गया और आखिरकार आज गठबंधन टूटने के संकेत सामने आ ही गए. बिजनौर के अलावा मुरादाबाद और बलिया लोकसभा सीट पर भी दोनों पार्टियों के बीच तनातनी थी.
सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव की पार्टी ने विवादास्पद सीटों को छोड़कर 17 सीटों पर कांग्रेस के साथ समझौता किया था. जिन सीटों पर सहमति बनी थी, उनमें अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, प्रयागराज, देवरिया, बांसगांव, महराजगंज, बाराबंकी, कानपुर, झाँसी, मथुरा, फ़तेहपुर सीकरी, ग़ाज़ियाबाद, बुलन्दशहर, हाथरस, सहारनपुर जैसे हाई-प्रोफ़ाइल निर्वाचन क्षेत्र शामिल थे.