राहुल गांधी ने मायावती को लेकर क्या कहा? क्या बदलाव लाता गठबंधन?

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में एक बयान में बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती के बारे में कुछ ऐसा कहा, जो उन्हें नाराज कर गया। राहुल गांधी ने कहा था कि अगर मायावती साल 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन (INDIA Bloc) का हिस्सा बन जातीं, तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) चुनाव हार जाती।

राहुल गांधी ने कहा, “मैं चाहता था कि बहनजी हमारे साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ें, लेकिन वह हमारे साथ नहीं आईं। हमें इस बात का काफी दुख हुआ। अगर तीनों पार्टियां एक साथ हो जातीं तो रिजल्ट कुछ और ही होता।” इस बयान के बाद मायावती की तरफ से कोई प्रतिक्रिया आई है या नहीं, ये देखने वाली बात होगी, लेकिन उनके समर्थकों में यह बयान चर्चा का विषय बन गया है।

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2019 के बाद बसपा का वोट शेयर और प्रदर्शन

बसपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (SP) के साथ गठबंधन किया था और यूपी में 19.26% वोट हासिल किए थे। कांग्रेस का वोट प्रतिशत उस समय 6.31% था। लेकिन 2024 में सपा और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा, जिसमें सपा का वोट शेयर बढ़कर 33.59% हो गया, जबकि कांग्रेस ने 9.46% वोट हासिल किए और बसपा को मात्र 9.39% वोट मिले। अगर तीनों पार्टियों का गठबंधन होता, तो ये आंकड़ा 55% तक जा सकता था, जिससे भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ जातीं। इस बार भाजपा का वोट शेयर 41.37% था।

कांग्रेस को उम्मीद थी कि अगर मायावती भी गठबंधन का हिस्सा होतीं तो बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलती, क्योंकि बसपा का वोट बैंक मुख्यतः दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटरों पर केंद्रित है।

मायावती की सियासत: अच्छे दिन और गिरावट

बसपा की सियासी यात्रा काफी दिलचस्प रही है। साल 1984 में कांशीराम ने बसपा की स्थापना की और मायावती ने इसे राष्ट्रीय पार्टी बनाने तक पहुंचाया। 1997 में बसपा ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल किया। उस समय पार्टी ने यूपी, मध्य प्रदेश, दिल्ली और पंजाब में अच्छा प्रदर्शन किया था। 2007 में मायावती ने पूर्ण बहुमत से यूपी में सरकार बनाई थी। यह बसपा के “अच्छे दिन” थे।

लेकिन 2012 से बसपा की सियासी जमीन लड़खड़ानी शुरू हुई। सपा और भाजपा ने यूपी की राजनीति में मजबूती से अपनी स्थिति बनाई और बसपा का प्रदर्शन घटता चला गया। 2012 में बसपा का वोट शेयर 25% तक गिर गया, और 2017 में बसपा ने अकेले चुनाव लड़ा लेकिन महज 19 सीटें ही जीत पाई। 2022 में तो बसपा की हालत और भी खराब हो गई, वह केवल एक सीट ही जीत पाई और उसका वोट शेयर 12% तक सिमट गया।

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बसपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा

साल 1997 में जब बसपा ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल किया, तो वह पार्टी के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। इसके लिए जरूरी था कि पार्टी कम से कम चार राज्यों में 6% वोट हासिल करती, और उसके उम्मीदवारों को सांसद चुनकर भेजा जाता। बसपा ने इन सभी शर्तों को पूरा किया था और उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला था। हालांकि 2023 में चुनाव आयोग ने बसपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया, क्योंकि पार्टी का प्रदर्शन लगातार गिरता गया था और वह यूपी तक ही सीमित रह गई थी।

मायावती का कथित वोट बैंक

बसपा की राजनीति का केंद्र हमेशा दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग रहा है। यूपी में अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या करीब 21% है, जो कि पार्टी के लिए एक मजबूत वोट बैंक था। लेकिन सपा ने मुस्लिम-यादव गठजोड़ और अन्य वर्गों को अपनी ओर आकर्षित किया, जिससे बसपा का कथित वोट बैंक खिसकता गया। 2012 के बाद से बसपा को समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी से कड़ी टक्कर मिलती रही।

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2009 से 2024 तक BSP का वोट शेयर

बसपा का प्रदर्शन लोकसभा चुनावों में उतार-चढ़ाव का शिकार रहा है। यहां बसपा के वोट शेयर का इतिहास दिया जा रहा है:

  • 2009 लोकसभा चुनाव: 6.17% वोट शेयर, 21 सीटें
  • 2014 लोकसभा चुनाव: 4.19% वोट शेयर, 0 सीटें
  • 2019 लोकसभा चुनाव: 3.66% वोट शेयर, 10 सीटें
  • 2024 लोकसभा चुनाव: 2.04% वोट शेयर, 0 सीटें

यूपी में बसपा का वर्तमान हाल

2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने अकेले चुनाव लड़ा, लेकिन उसे 9.39% वोट मिले, फिर भी वह एक भी सीट जीतने में नाकाम रही। यूपी में बसपा के लिए यह एक बड़ा झटका था, क्योंकि यहां अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या काफी बड़ी है, और इस समुदाय के हितों की रक्षा करने वाली पार्टी मानी जाती है। हालांकि अब उसकी राजनीतिक जमीन कमजोर हो गई है और भाजपा और सपा की बढ़ती ताकत के बीच बसपा का भविष्य संकट में नजर आ रहा है।

कांग्रेस की उम्मीदें और मायावती से अपेक्षाएं

राहुल गांधी ने भी माना कि अगर मायावती गठबंधन का हिस्सा होतीं, तो बीजेपी को काफी मुश्किलें होतीं। राहुल गांधी ने रायबरेली में कहा, “मायावती आजकल क्यों ठीक से चुनाव नहीं लड़ रहीं, यह बड़ा सवाल है। हम चाहते थे कि बहन जी हमारे साथ चुनाव लड़ें। अगर तीनों पार्टियां एक साथ हो जातीं तो बीजेपी कभी चुनाव न जीतती।” कांग्रेस के लिए मायावती का समर्थन बेहद महत्वपूर्ण हो सकता था, क्योंकि बसपा का वोट शेयर उनके लिए मददगार साबित हो सकता था।

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क्या होता अगर बसपा कांग्रेस और सपा के साथ गठबंधन करती?

यदि बसपा कांग्रेस और सपा के साथ चुनाव लड़ती, तो शायद नतीजे कुछ अलग हो सकते थे। बसपा का वोट प्रतिशत भले ही कम हुआ है, लेकिन वह अभी भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत है, विशेषकर यूपी में। इस गठबंधन से बीजेपी की सीटें घट सकती थीं और इंडिया गठबंधन को फायदा हो सकता था।

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