पुरानी परंपरा को तोड़ नए तरीकों से उम्मीदवार चुनेगी कांग्रेस !

कांग्रेस ने चुनाव में उम्मीदवारों के चयन के लिए एक स्क्रीनिंग कमिटी का गठन किया है. जो जमीन पर उतर कर उम्मीदवारों की पूरी जानकारी हासिल करेगी ताकि चुनाव के लिए बेहतर उम्मीदवार को चुना जा सके.

नई दिल्ली: चुनाव में जीतने की संभवानाओं को बढ़ाने के लिए कांग्रेस अपने उम्मीदवार को चुनने की प्रणाली में बड़ा बदलाव लाने जा रही है. राहुल गांधी की अध्यक्षता में उठाया गया ये कदम कांग्रेस की सालों परंपरा को बदल देगा. दरअसल कांग्रेस ने चुनाव में उम्मीदवारों के चयन के लिए एक स्क्रीनिंग कमिटी का गठन किया है. जो जमीन पर उतर कर उम्मीदवारों की पूरी जानकारी हासिल करेगी ताकि चुनाव के लिए बेहतर उम्मीदवार को चुना जा सके.

इस कदम को कांग्रेस के ढ़ांचे को लोकतांत्रिक और पारदर्शी बनाने के रूप में देखा जा रहा है. अभी तक स्क्रीनिंग कमिटी राज्य की इकाईयों के साथ बातचीत करती थी और फिर हर क्षेत्र के 3 से 4 लोगों का सुझाव राज्य के पार्टी अध्यक्ष के नेतृत्व वाली केंद्रीय चुनाव कमिटी को देती थी.

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अब इस स्क्रीनिंग कमिटी को पार्टी की स्थानीय इकाइयों से बातचीत करने के अलावा उम्मीदवारों के पूरे कामकाज का ब्यौरा और उनकी नीजी और सार्वजनिक जानकारी को इकट्टा करना होगा. द इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक ये उम्मीदवारों के चयन का ये तरीका छत्तीसगढ़ कांग्रेस द्वारा ईजात किया गया है. छत्तीसगढ़ की स्थानीय इकाईयों ने सुझाया कि टिकट पाने के लिए दिल्ली जाकर होने वाली लॉबिंग को रोकने के लिए और सही उम्मीदवार को चुनने के लिए ये बेहतर होगा कि स्क्रीनिंग कमिटी के सदस्य राज्यों का दौरा कर उन्हें चुनें.

ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के सचिव जिन्हें राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है वो भी जमीन पर काम करने वाले स्क्रीनिंग कमिटी के सदस्यों को सुझाव देंगे. झारखंड, राजस्थान और मध्यप्रदेश में आगामी चुनावों के लिए कांग्रेस पहले ही बूथ, ब्लॉक औऱ जिला स्तर की कमिटियों के सुझाव ले चुकी है. उम्मीदवारों को लेकर कई लिस्ट बना ली गई हैं. इसके बाद अब स्क्रीनिंग समिती इन उम्मीदवारों की पड़ताल के लिए जमीन पर उतकर कर अपनी छानबीन करेगी.

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राजस्थान की स्क्रीनिंग कमिटी की कमान हरियाणा से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद कुमारी शेल्जा को दी गई है, मध्यप्रदेश की कमान मधुसुधन मिस्त्री और छत्तीसगढ़ की कमान भुवनेश्वर कलिता को दी गई है. अब ऐसे में देखना होगा की सालों पुरानी परंपरा बदलने कर क्या कांग्रेस को कुछ फायदा हो पाएगा या नही.

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