लखनऊ: स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 75 घंटे का महासम्पर्क अभियान चलाने जा रही है. इसके तहत पूरे प्रदेश में घर-घर जाकर करीब 90 लाख लोगों से सम्पर्क किया जाएगा. तीन दिनों तक चलने वाले इस इस अभियान को लेकर कांग्रेस ने सभी नेताओं को क्षेत्रवार जिम्मेदारियां सौंप दी हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के मुताबिक स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कांग्रेस पूरे प्रदेश में संवाद कार्यक्रम शुरू करेगी. इस बार स्वतंत्रता दिवस 75वी वर्षगांठ मनाई जाएगी. कांग्रेस पार्टी त्याग, समर्पण और संघर्ष की पार्टी है. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पार्टी लगातार 3 दिनों तक बड़ा अभियान चलाएगी, जिसका नाम होगा ‘जय भारत महासम्पर्क अभियान’.
अजय कुमार लल्लू के मुताबिक देश की स्वतंत्रता में कांग्रेस पार्टी ने बहुत बड़ा योगदान दिया है. कांग्रेस के नेतृत्व में इस बड़े आंदोलन को करने का काम किया गया. 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर यूपी कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता प्रदेश के 30,000 ग्रामसभाओं, विधानसभाओं और वार्डों में 75 घंटे यानि 3 दिन का प्रवास करेंगे. यह अभियान प्रियंका गांधी के नेतृत्व और निर्देशन में चलाया जायेगा. 3 दिनों के संवाद कार्यक्रम के जरिए कांग्रेस पार्टी सीधे प्रदेश के 90 लाख लोगों के साथ सम्पर्क करेगी.
इस अवधि के दौरान चिन्हित ग्रामसभाओं और वार्डों में कई कार्यक्रम किए जाएंगे. पहले दिन 19 अगस्त को ‘मेरा गांव-मेरा देश’ संवाद कार्यक्रम होगा, इसमें ग्राम सभाओं में सभी घरों में सवांद कार्यक्रम में चौपाल लगाकर किसानों से बात की जाएगी. इसके अगले दिन स्वर्गीय राजीव गांधी का जन्मदिन है, जिसे पूरा देश ‘सद्भावना दिवस’ के रूप में मनाता है. इस दिन लगभग 30,000 ग्राम सभाओं और वार्डों में स्वतंत्रता सेनानियों और वरिष्ठजनों को सम्मानित करने का कार्यक्रम होगा और देश की उन्नति के शपथ दिलाने का कार्यक्रम होंगे. इसी के साथ श्रमदान का कार्यक्रम होगा.
इस मौके पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने खेल रत्न पुरस्कार का नाम राजीव गांधी के नाम से बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर किये जाने को लेकर बड़ा हमला बोला. लल्लू ने कहा कि अगर सरकार मेजर ध्यान चंद के नाम पर कुछ करना चाहती थी तो किसी नये खेल पुरस्कार की शुरूआत कर सकती थी लेकिन राजीव गांधी के नाम से बदलकर किसी और के नाम पर रखना ये सरकार की छोटी सोच का सबसे बड़ा उदाहरण है.