दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हालत पूरी तरह से बिगड़ी हुई दिखी है, जहां पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। यह स्थिति सिर्फ दिल्ली की नहीं है, बल्कि देश के कई बड़े राज्यों में कांग्रेस के पास एक भी विधायक नहीं है। कांग्रेस ने इन राज्यों में पहले अच्छी खासी पहचान बनाई थी, लेकिन अब वहां उसकी राजनीतिक ताकत पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। दिल्ली में जीरो सीट मिलने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि आखिर कांग्रेस की दिशा क्या होगी?
दिल्ली में कांग्रेस का पलड़ा पूरी तरह से हारा
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति को लेकर पहले ही अंदाजा था कि पार्टी इस बार कोई कमाल नहीं कर पाएगी। 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच कांटे की टक्कर थी, लेकिन कांग्रेस पूरी तरह से बाहर हो गई। यह पहली बार है जब दिल्ली में कांग्रेस को जीरो सीटें मिली हैं।
देश के कई अन्य बड़े राज्यों में भी कांग्रेस का हाल वही
दिल्ली का हाल तो सबको पता चल ही गया, लेकिन यह अकेला राज्य नहीं है जहां कांग्रेस का खाता नहीं खुला। देश के कम से कम चार ऐसे बड़े राज्य हैं, जहां कांग्रेस के पास एक भी विधायक नहीं है। इनमें आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और नगालैंड शामिल हैं। इन राज्यों में कांग्रेस की सत्ता कभी मजबूत थी, लेकिन अब पार्टी की स्थिति पूरी तरह से दयनीय हो चुकी है।
आंध्र प्रदेश: कांग्रेस का सफाया
आंध्र प्रदेश में 2024 में विधानसभा चुनाव हुए थे और कांग्रेस ने यहां अपनी पूरी ताकत लगाई थी। लेकिन इस चुनाव में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल पाई। इसके अलावा, पार्टी के अधिकतर उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे, या फिर उनके जमानत जब्त हो गए। आंध्र प्रदेश में एनडीए गठबंधन के पास 164 विधायक हैं, जबकि विपक्षी पार्टी वाईएसआर के पास 11 विधायक हैं। 2014 तक आंध्र प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन अब वह पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है।
पश्चिम बंगाल: कांग्रेस का जीरो प्रदर्शन
पश्चिम बंगाल की विधानसभा में कुल 294 सीटें हैं। 2021 में यहां हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने लेफ्ट फ्रंट के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली। यह बंगाल में कांग्रेस का पहला जीरो प्रदर्शन था। तृणमूल कांग्रेस की सरकार के पास 224 सीटें हैं, जबकि बीजेपी के पास 66 सीटें हैं।
2022 में मुर्शिदाबाद के सागरदिघी सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी, लेकिन विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद से अब तक होने वाले सभी उपचुनावों में कांग्रेस का खाता नहीं खुल सका है।
सिक्किम: कांग्रेस का खाता नहीं खुला
सिक्किम में विधानसभा की 32 सीटें हैं और कांग्रेस एक समय यहां की प्रमुख राजनीतिक पार्टी थी, लेकिन अब यहां भी कांग्रेस का नामोनिशान नहीं है। सिक्किम में सभी सीटों पर सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) का कब्जा है और यह पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन में है।
नगालैंड: कांग्रेस का यहां भी सफाया
नगालैंड में 2023 में विधानसभा चुनाव हुए थे, लेकिन कांग्रेस को यहां भी एक भी सीट नहीं मिली। नगालैंड में एनडीपीपी के पास 25 सीटें हैं, बीजेपी के पास 12 सीटें हैं, और अन्य दलों के पास भी कुछ सीटें हैं, लेकिन कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका।
पूर्वोत्तर के तीन राज्य: कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं
अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और मिजोरम के मामलों में भी कांग्रेस का हाल कुछ खास नहीं बदला है। अरुणाचल प्रदेश में 60 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास केवल एक विधायक है। मेघालय और मिजोरम में भी कांग्रेस के पास सिर्फ एक-एक विधायक हैं।
मणिपुर और पुडुचेरी: यहां भी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं
मणिपुर और पुडुचेरी में कांग्रेस के पास दो-दो विधायक हैं। पुडुचेरी में हाल तक कांग्रेस की सरकार थी, जबकि मणिपुर में भी कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन अब इन दोनों राज्यों में कांग्रेस को अपनी खोई हुई ताकत वापस हासिल करनी है।
कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण समय
कांग्रेस के लिए यह एक मुश्किल समय है, जहां उसे अपनी खोई हुई पहचान और सत्ता को फिर से वापस लाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। पार्टी के सामने यह सवाल खड़ा है कि वह अपने आप को कैसे एक नए रूप में जनता के सामने पेश करेगी। क्या वह अपनी पुरानी रणनीतियों पर काम करेगी, या फिर कुछ नया और मजबूत कदम उठाएगी, यह देखने वाली बात होगी।