कोरोना: लॉकडाउन महिलाओं के लिए अभिशाप, दुनिया भर में घरेलू हिंसा के मामले बढ़े

कोरोना वायरस के प्रकोप को बढ़ने से रोकने के लिए भारत में 21 दिनों का लॉकडाउन लगाया गया था। देश में जहां लॉकडाउन की स्थिति में लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं वहीं घरों के अंदर घरेलू हिंसा के मामले बढ़ते जा रहे है। लॉकडाउन के दौरान राष्ट्रीय महिला आयोग को मिलने वाली शिकायतें बढ़कर दुगनी हो गई हैं जबकि अभी सिर्फ ऑनलाइन शिकायतें ही आ रही हैं। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि फ्रांस, इटली और पेरिस जैसी जगहों पर भी घरेलू हिंसा के मामलों में 30 से 40 फीसदी तक बढ़ोतरी हु़ई है।

राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार, 23 मार्च 2020 से 1 अप्रैल 2020 तक महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा की 69 शिकायतें मिलीं हैं। और रेप या रेप की कोशिश की 13, महिलाओं के सम्मान के साथ जीने के अधिकार के संबंध में 77 शिकायतें सामने आई हैं। महिलाओं ने कुल 257 शिकायतें दर्ज करवाई हैं, जिनमें से 237 पर कारवाई शुरू कर दी गई हैं।

घरेलू हिंसा से जुड़े मामले सिर्फ भारत में ही बढ़े हों, ऐसा बिल्कुल नहीं है, बल्कि दुनियाभर में जहां-जहां भी लॉकडाउन हुआ है वहां घरेलू हिंसा से जुड़ी शिकायतें बढ़ गई हैं। लॉकडाउन में लोग काफी हद तक मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। ज्यादातर पुरुषों को चिंता है कि उनकी अपनी नौकरियां छूट सकती है, इसलिए उनका मानसिक तनाव महिलाओं पर घरेलू हिंसा के रूप में नजर आ रहा है। कोविड-19 महामारी के शुरू होने के बाद से फ्रांस में घरेलू हिंसा के मामले बढ़कर 32 फीसदी हो गए हैं, जबकि पेरिस में 36 फीसदी तक मामले बढ़े हैं। लेबनान और मलेशिया में हेल्पलाइन पर आने वाली फ़ोन कॉल की संख्या दोगुनी हो गई है जबकि चीन में यह संख्या तीन गुनी बढ़ गई है। आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में गूगल जैसे सर्च इंजनों पर घरेलू हिंसा संबंधी मदद के लिए पिछले पांच वर्षों में सबसे ज़्यादा जानकारी इन दिनों खोजी जा रही है।

दिल्ली के डीसीपी (ऑपरेशंस एंड कम्युनिकेशंस) एसके सिंह ने कहा कि, “यह काफी हैरानी वाली बात है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े कॉल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ गए हैं। पहले हमें घरेलू हिंसा, छेड़छाड़ से जुड़ी प्रति दिन 900-1000 कॉल मिलती थी, हालांकि लॉकडाउन के बाद से प्रति दिन लगभग 1000-1200 कॉल मिल रही हैं”।

यह हालात तब है, जब लॉकडाउन के दौरान ना तो महिलाएं थाने तक अपनी शिकायत करने के लिए पहुंच पा रही हैं, और ना ही उनकी चिट्ठी डाक द्वारा पहुंच रही है। कानून विशेषज्ञ कपिल सांखला का मानना है कि इस वक्त पुलिस को पूरे देश के लिए ऐसी हॉटलाइन बनानी चाहिए, जिसमें व्हाट्सएप और मैसेंजर की भी सुविधा हो, ताकि महिलाएं सीधे पुलिस को अपनी समस्याएं बता सकें।

महिला पुलिसकर्मी जो अक्सर हेल्प डेस्क पर घरेलू हिंसा से जुड़े मामलों की कॉल को रिसीव करती हैं, उनका मानना है कि फिलहाल पुरुषों के घर पर रहने के कारण महिलाएं घरेलू हिंसा के मामलों की शिकायत कम कर पा रही हैं। शहरों में रहने वाली महिलाएं ज्यादातर मेल कर या फिर किसी पड़ोसी की मदद से अपनी शिकायतें दर्ज करा रही हैं।

यूएन महासचिव ने सभी सरकारों से आग्रह किया है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा की रोकथाम और उसके निवारण के उपायों को कोविड-19 से निपटने की राष्ट्रीय योजनाओं का अहम हिस्सा बनाना होगा।

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