लखीमपुर खीरी। कोरोना वायरस के संक्रमण ने भारत की रीढ़ कहे जाने वाले मजदूर वर्ग को झंकझोर कर रख दिया है। खाने-पीने के लाले पड़े हैं। जो घर पहुंच गए उन्हें इस बात की तसल्ली है कि अपनी माटी, अपने लोग के बीच किसी भी तरह गुजर-बसर कर लेंगे। जो अब भी दूसरे राज्यों में घर वापसी की आस लगाए बैठे हैं.. उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार भी सिर्फ आश्वासन दे रही है। लॉकडाउन से मजदूरों की लाचारी का रूह कंपा देने वाला ताजा मामला लखीमपुरी खीरी में सामने आया है। पांच मजदूर 9 दिनों तक भूखे पेट 900 किलोमीटर पैदल चलकर लखीमपुर पहुंचे तो उन्हें खाना नसीब हुआ।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में जारी लॉकडाउन के चलते देश के कई राज्यों में मजदूर फंसे हुए हैं। इन्हीं मजदूरों में से ये पांच मजदूर ऐसे हैं जो 9 दिनों में 900 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर लखीमपुर खीरी पहुंचे। यहां पहुंचने तक उन्हें खाने के लिए झेलना पड़ा। रास्ते में कोई व्यवस्था न होने के कारण उन्हें भूखे पेट ही यात्रा जारी रखनी पड़ी। भूखे-प्यासे 5 मजदूर बुधवार को यूपी के लखीमपुर खीरी पहुंचे तो उन्हें खाना नसीब हुआ।
चंडीगढ़ से बलरामपुर के लिए पैदल यात्रा पर निकले 5 मजदूर बीती रात करीब 10 बजे 900 किलोमीटर पैदल चलकर लखीमपुर पहुंचे। पांचों मजदूरों का कहना था कि पिछले 3 दिनों से न उन्हें खाने को मिला है न ही पीने योग्य पानी मिला है। वहां मौजूद लोगों ने मजदूरों का दर्द सुनकर उनके लिए लंच पैकेट की व्यवस्था की तब जाकर उनकी भूख मिट सकी। मजदूरों ने बताया कि चंडीगढ़ में दिहाड़ी पर मजदूरी करते थे। लॉकडाउन के बाद उन्हें जो मदद मिलनी चाहिए थी, वो नहीं मिली। उन्हें मजदूरी पर लगाने वाला ठेकेदार भी उन्हें बेसहारा छोड़कर भाग गया। जहां मजदूरी करते थे, उन लोगों ने भी मजदूरों की कोई सुध नहीं ली।