ब्रिटेन में Covid-19 वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल शुरू, जून तक वैक्सीन तैयार हो जाने की संभावना

राजसत्ता एक्सप्रेस। पूरी दुनिया कोरोना वायरस का कहर झेल रही है और इस महामारी से निजात दिलाने का हर कोई प्रयास कर रहा है। इसी के चलते ब्रिटेन में आज से दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग ट्रायल शुरू हुआ है। Covid-19 वैक्सीन के इस सबसे बड़ा ट्रायल पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं। वैज्ञानिक ये उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले कुछ सप्‍ताह में ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्‍सीन ‘ChAdOx1 nCoV-19’ से कुछ चमत्कार हो सकता है। आइए विस्तार से इस वैक्सीन के बारे में जानते हैं।

सबसे बड़ा कोरोना ड्रग ट्रायल

ब्रिटेन में दुनिया का सबसे बड़ा कोरोना ड्रग ट्रायल शुरू हो गया है। जहां ब्रिटेन में इस वैक्सीन का एक महीने तक 165 अस्‍पतालों में भर्ती करीब 5 हजार मरीजों पर किया जाएगा। इसी तरह इस वैक्सीन का परीक्षण यूरोप और अमेरिका में सैकड़ों लोगों पर भी किया जाएगा। ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विभाग के प्रफेसर पीटर हॉर्बी का कहना है कि ये दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग ट्रायल है। इससे पहले प्रफेसर हॉर्बी ‘इबोला’ की दवा के ट्रायल का भी नेतृ्त्व कर चुके हैं। वहीं, ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इस वक्त दो वैक्सीन सबसे आगे हैं। एक ऑक्सफर्ड में और दूसरी इंपीरियल कॉलेज में तैयार की जा रही हैं।

जून तक रिजल्ट आने की संभावना

प्रफेसर हॉर्बी का कहना है कि हमने अनुमान जताया है कि जून तक इसके परिणाम आ सकते हैं। ये स्पष्ट होते ही कि वैक्सीन से लाभ होगा, तो इसकी जानकारी जल्द ही दी जाएगी। हालांकि, प्रफेसर हॉर्बी ने चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के मामलों में कोई जादू नहीं हो सकता। जानकारी के मुताबिक, इसको लेकर इंग्लैंड में 21 नए रिसर्च प्रॉजेक्ट की शुरुआत की गई है, जिसके लिए इंग्लैंड सरकार ने 1.4 करोड़ पाउंड की राशि उपलब्ध कराई है। 10 लाख वैक्सीन की डोज बनाने की तैयारी ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में चल रही है।

सबसे पहले युवाओं पर परीक्षण

कहा जा रहा है कि ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का परीक्षण सबसे पहले युवाओं पर किया जा रहा है। अगर ये प्रयास सफल रहा, तो फिर अन्य आयु वर्ग के लोगों पर भी वैक्सीन का परीक्षण होगा। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University)में जेनर इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर आड्रियान हिल का कहना है कि सितंबर तक हमने हर कीमत पर 10 लाख डोज तैयार करने का लक्ष्य रखा है। उनका कहना है कि पहले वैक्सीन की क्षमता का पता चल जाए, फिर उसे बढ़ाने का काम करेंगे। हम ये जानते हैं कि पूरी दुनिया के करोड़ों डोज की जरूरत पड़ने वाली है। उनका कहना है कि केवल वैक्सीन ही कोरोना वायरस को खत्म करने के कारगर उपाय हो सकती है, सोशल डिस्टेंशिंग (Social Distancing) से तो केवल बचाव किया जा सकता है।

वैक्‍सीन बनाने में जुटीं 70 कंपनियां और शोध टीमें

जेनर इंस्टीट्यूट की मानें, तो दो महीने में पता चल जाएगा कि वैक्सीन वायरस को कितना कम कर पाएगी। 12 से 18 महीने का वैक्सीन को तैयार करने प्रोटोकॉल होता है। यही विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की गाइडलाइन भी कहती हैं। ब्रिटेन के चीफ मेडिकल एडवाइजर क्रिस विह्टी ने बताया कि पूरी दुनिया में 70 से ज्‍यादा कंपनियां और शोध टीमें कोविड-19 की वैक्सीन बनाने में जुटी हुई है।

जेनर इंस्टीट्यूट के मुताबिक दो महीने में पता चल जाएगा कि वैक्सीन मर्ज कितना कम कर पाएगी। किसी वैक्सीन को तैयार करने का प्रोटोकॉल 12 से 18 महीने का होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की गाइडलाइन भी यही कहती है। उधर, ब्रिटेन के चीफ मेडिकल एडवाइजर क्रिस विह्टी कहते हैं, ‘हमारे देश में दुनिया के जाने माने वैक्सीन वैज्ञानिक हैं, लेकिन हमें पूरे डिवलपमेंट प्रोसेस को ध्यान में रखना है। इसे कम किया जा सकता है। टास्क फोर्स इस पर काम कर भी रही है। हम सिर्फ यही चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी Covid-19 के इलाज के लिए वैक्सीन तैयार हो जाए। पूरी दुनिया में 70 से ज्‍यादा कंपनियां और शोध टीमें कोरोना वायरस की वैक्‍सीन बनाने पर काम कर रही हैं।

ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि ऑक्‍सफर्ड की वैक्‍सीन पहले ही डोज में अपना दम दिखाएंगी। ऑक्‍सफर्ड की टीम के एक सदस्‍य का कहना है कि सबसे सटीक तकनीक का प्रयोग कर वैक्‍सीन को बनाया जा रहा है। उम्मीद है कि ये अपने पहले ही डोज में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करेगी। इस वैक्‍सीन को बनाने में ChAdOx तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। कहा जा रहा है कि अन्य बीमारियों के इलाज के लिए भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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