ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने जायडस कैडिला के जाइकोव-डी वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के मंजूरी के बाद इसका उपयोग अब 12 साल और उससे अधिक के उम्र के बच्चों और व्यस्कों के लिए किया जा सकता है. भारत सरकार की बायोटेकनोलॉजी विभाग की सेक्रटरी, डॉ.रेणु स्वरूप ने कहा कि बच्चों की वैक्सीन की शुरूआत में अभी करीब चार हफ्ते का वक्त लग सकता है. उन्होंने कहा इस वैक्सीन पर फैसला नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाईजेशन (NTAGI) वर्किंग ग्रुप को करना है.
बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सेक्रेटरी डॉ रेणु ने कहा कि जाइकोव-डी एक डीएनए वैक्सीन है, जिसे 12 साल के ऊपर के बच्चों और व्यसकों पर इमरजेंसी यूज की इजाजत मिली है. वहीं इसे छोटे उम्र 5-12 वर्ष या इससे भी कम उम्र के बच्चों के लिए अलग-अलग स्टेज पर रिसर्च जारी है. वैक्सीन बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां इस पर ट्रायल कर रही हैं.
जाइडस कैडिला द्वारा बनाई गई जाइकोव-डी दुनिया की पहली और भारत की स्वदेशी विकसित डीएनए वैक्सीन है. डॉ स्वरूप ने कहा कि हम जानते हैं कि भारत बायोटेक को 5 साल और उससे ऊपर उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन के ट्रायल की अनुमति मिली हुई है. इसी तरह बायोलॉजिकल-ई अभी फेज-3 ट्रायल में है. फिलहाल यह फेस-2 ट्रायल में है, फेज-3 ट्रायल मे इसे बच्चों के लिए अनुमति मिली है.
डॉ रेणु स्वरूप ने कहा कि बायोलॉजिकल-ई वैक्सीन को सितंबर अंत तक रेगुलेटर्स द्वारा मंजूरी मिलने की उम्मीद है. हम इन वैक्सीन की टेस्टिंग कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट पर भी कर रहे हैं. हम ऐसी वैक्सीन बनाने पर भी विचार कर रहे हैं जो कोरोना के अलग-अलग वैरिएंट से मुकाबला कर सके.आपको बता दें कि देश में अब तक कुल आबादी के 32 प्रतिशत से भी अधिक लोगों को कोविड वैक्सीन की एक डोज लगाई जा चुकी है. वहीं 9.5 प्रतिशत से अधिक की आबादी को वैक्सीन की दोनों खुराक दी जा चुकी है.