पुलवामा। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF के काफिले पर हुए आतंकी हमले ने सभी की नींद उड़ा कर रख दी है। इस हमले में 37 से ज्यादा जवान शहीद हो गए हैं। ये सभी जवान अपनी छुट्टी से ड्यूटी पर वापस लौट रहे थे। इसी दौरान जैश-ए-मोहम्मद के हमलावरों ने जवानों के काफिले को निशाना बनाया और देखते ही देखते सबसे बड़े आतंकी हमलों में तबदील हो गया। आपको बता दें, सभी जवान जम्मू से श्रीनगर जा रहे थे लेकिन भारी बर्फबारी के चलते जम्मू श्रीनगर हाइवे मार्ग करीब एक हफ्ते से बंद था। इसकी वजह से जो जवान श्रीनगर जाने वाले थे उनकी संख्या में इजाफा हो गया।
श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम पहुंचना था
आर्मी जवानों का काफिला जम्मू स्थित चेनानी रामा ट्रांसिट कैंप से श्रीनगर के लिए निकले थे। 78 बसों में 2500 जवानों को लेकर काफिला जम्मू से रवाना हुआ था। इधर जम्मू में सीआरपीएफ के प्रवक्ता आशीष कुमार झा ने मीडिया ये बातचीत में बताया कि ये सभी जवान अपनी छुट्टी से लौटकर ड्यूटी पर वापस जा रहे थे। सभी जवानों को श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम स्थित ट्रांसिट कैंप में पहुंचना था। करीब 320 किलोमीटर दूर सफर के लिए सभी जवान सुबह 3:30 बजे से सफर कर रहे थे। लेकिन अपनी मंजिल से सिर्फ 30 किलोमीटर ही दूर जवान आतंकी हमले का शिकार बन गए।
सुरक्षा में बड़ी चूक
जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने 350 किलोग्राम विस्फोटकों से लदी एक स्कॉर्पियों को काफिले की एक बस से ले जाकर टकरा दिया। हमले में करीब 20 जवानों के घायल होने की आशंका है। इधर सुरक्षा एजेंसी जांच पड़ताल के दौरान ये जानने में लगी हुई है कि आखिर चूक कहां हुई। आशीष कुमार झा ने बताया कि सुरक्षा एजेंसी पूरे हमले की जांच में लगी हुई है। लेकिन यह बात भी तय है कि इतने बड़े काफिले को दूर से ही देखा जा सकता है। इस तरह के काफिले के लिए हमेशा से रुकने की जगह और कहां से यात्रा फिर से शुरू होगा सबकुछ पहले से ही तय रहता है।