क्या है सिम स्वैपिंग, कैसे हैकर्स लगाते हैं लोगों के बैंक खातों में सेंध, यहां जानें

सिम स्वैपिंग के द्वारा हैकर लोगों को लाखों-करोड़ों का चूना लगा देते हैं, जिससे लोगों की मेहनत की कमाई इन हैकर्स के पास चली जाती है. आखिर ये होता कैसे हैं? क्या है ये सिम स्वैपिंग, जिससे लग जाता है बैंक ग्राहकों को चूना? चलिए जानते हैं.

क्या होता है और क्यों करते हैं सिम स्वैपिंग

सिम स्वैपिंग का मतलब होता है कि फर्जी पहचान पत्र के द्वारा आपके नंबर का डुप्लीकेट सिम लेकर आपके खातों में सेंध लगाना. अब ये होता कैसे है? दरअसल, हैकर सिम स्वैपिंग के जरिए आपकी पहचान चोरी कर बैंक खाते से जुड़ा हुआ आपका मोबाइल नंबर बंद कराते हैं. इसके बाद फर्जी पहचान पत्र द्वारा उसी मोबाइल नंबर का डुप्लीकेट सिम एक्टिवेट करा लेते हैं, जिससे की सारे मैसेज उनके नए नंबर पर आने लगते हैं. वहीं जब आपका नंबर हैकर के पास शुरू हो जाता है तब वो आपके इंटरनेट बैंकिंग पर लॉगिन करते हैं. वहीं हैकर के पास आपके बैंकिंग आईडी का पासवर्ड नहीं होता है, लेकिन इसे वो रीसेट कर लेते हैं. वहीं नया पासवर्ड उनके द्वारा चालू कराए गए नए नंबर पर एक ओटीपी आता है, जिसके जरिए हैकर इंटरनेट बैंकिंग में लॉगिन करके आपके खाते में सेंध लगा सकते हैं.

ऐसे मिलता है डुप्लीकेट सिम और बैंक खाते की जानकारी

वहीं सवाल खड़ा होता है कि डुप्लीकेट सिम मिलता कैसे हैं. दरअसल, सोशल मीडिया के जरिए अक्सर हैकर जानकारी जुटाते हैं और उस जानकारी के आधार पर एक फर्जी पहचान पत्र बनाते हैं. इस फर्जी पहचान पत्र जरिए ही डुप्लीकेट सिम जारी करा लिया जाता है. वहीं हम जो ई-पेमेंट और ई-शॉपिंग का इस्तेमाल करते हैं, उससे बैंक खातों की जानकारी हैकर को मिल जाती है. दरअसल, हम कोई ई-पेमेंट करते हैं तो हमारी गोपनीय जानकारियां संबंधित वेबसाइट और उसके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे गेटवे के पास पहुंच जाती है, जिसके चलते हैकर कई जगहों से हमारी गोपनीय जानकारी चोरी कर लेते हैं.

क्या है बचने के तरीकें

कभी भी सोशल मीडिया पर अपनी गोपनीय जानकारी या फिर पूरा ब्योरा साझा न करें. उदाहरण के लिए जैसे कि घर का पूरा पता.

ई-वॉलेट में जरूरत भर सीमित रकम ही रखें.

सोशल मीडिया संबंधी सभी सिक्योरिटी फीचर हमेशा ऑन रखें ताकि वही लोग आपकी जानकारी देख सकें, जिन्हें आप चाहते हैं.

फोन या ईमेल पर किसी को भी अपने बैंक खाते, एटीएम कार्ड या क्रेडिट कार्ड से संबंधित कोई भी जानकारी न दें.

सोशल मीडिया अथवा ईमेल पर अनजान लोगों द्वारा भेजा गया मैसेज या ईमेल न खोलें क्योंकि इसमें वायरस हो सकता है जिससे आपकी सभी जानकारी हैकर तक पहुंच सकती है.

अगर मोबाइल बैंकिंग करते हैं तो भरोसेमंद मोबाइल ऐप ही डाउनलोड करें और इस्तेमाल के बाद लॉगआउट जरूर करें.

अपना मोबाइल को अनजान व्यक्ति के हाथ में न दें.

मोबाइल में पासवर्ड लगाकर रखें.

पुलिस की साइबर क्राइम सेल को तत्काल सूचित करें.

धोखाधड़ी का पता चलते ही बैंक को सूचना दें.

30 दिन में बैंक से जरूरी सहायता नहीं मिलने पर बैंकिंग लोकपाल या बैंक के प्रशासनिक शिकायत जांच अधिकारी से संपर्क करें.

आधार कार्ड का नंबर अनजान मोबाइल नंबर पर एसएमएस न करें. बैंक में जाकर खुद आधार कार्ड पंजीकृत कराएं.

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