उत्तराखंड के जोशीमठ के हालातों से सभी चिंतित है। धीरे-धीरे पूरा जोशीमठ खत्म हो जाएगा। जोशीमठ की तरह ही मध्यप्रदेश का नर्मदापुरम है जहां भी एक खतरा मंडरा रहा है। यह खतरा नर्मदा नदी के तेज बहाव के कारण बढ़ता जा रहा है। इसके दोनों छोर बढ़ रहे हैं, वहीं धीरे-धीरे जमीन भी खोखली हो रही है। इससे कभी भी बड़ा हादसा होने की आशंका विदेशों से आए वैज्ञानिकों ने व्यक्त की है।
नर्मदा नदी के जल प्रहार से किनारे खतरनाक हो रहे हैं। किसी भी दिन उत्तराखंड के जोशी मठ जैसे हालात बन सकते हैं। यदि इन कटावों का इंतजाम नहीं हुआ, तो किसी भी दिन अनहोनी हो जाएगी। ताइवान, जापान, चीन सहित भारत के उड़ीसा में नदियों के तटबंध पर काम करने वाली जर्मनी की एशिया पैसोफिक कंपनी के वैज्ञानिक एमडी ग्राहम थामसन, मुंबई प्रशासन के सलाहकार संजीव व्यास, करण व्यास ने परमहंस घाट का निरीक्षण करने के बाद यह बातेें कहीं।
वैज्ञानिक व्यास ने कहा कि नर्मदा की पूर्व दिशा की ओर से आने वाले तेज जल बहाव के कारण विवेकानंद और परमहंस घाट के बीच जमीन खोखली हो रही है। पानी बसाहट की तरफ तेजी से आ रहा है। लगातार जल धारा के टकराव के कारण कटाव बन रहे हैं। यह पानी जमीन को अंदर से कमजोर कर रहा है। इसी कारण घाटों पर दरारें आ रही हैं। घाट, नदी की तरफ जा रहा है। यह बिलकुल जोशी मठ की तरह हो रहा है। किसी भी दिन घाट नदी में जा सकता है। इसके बाद होने वाले हादसे का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पत्थर की पिचिंग बनाना और उसे लोहे की जाली से कस देना, इसका विकल्प नहीं है। थोड़े समय बाद लोहे के तार खराब हो जाएंगे । इसके बाद पिचिंग टूट जाएगी। इसलिए कटावों को रोकने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल करना होगा।
विशेषज्ञों का दल जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ बांद्रभान से पाहनबर्री, मरोड़ा सहित कई गांवों को निरीक्षण करेगा। यहां तवा नदी के टूटते तटबंधों को कैसे सुरक्षित किया जाए। इस पर रिसर्च करेंगे। इसके बाद यहां काम शुरू किया जाएगा। दल ने जल सांसाधन विभाग के अधिकारियों और इंजीनियरों से चर्चा हुए तवा नदी का नक्शा देखकर जानकारी ली।
एमडी थामसन ने सर्किट हॉउस के पीछे से पूरे घाट का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने वैज्ञानिक व्यास को बताया कि इन कटावों को रोकना जरूरी हैे। इसके लिए मौजूदा संसाधनों के जरिए ही काम करना होगा। तकनीक में कई तरह के बदलाव की आवाश्कता है। लंबे समय तक व्यवस्था बनाने के बाद ही यह समस्या समाप्त होगी।
सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह ने भी ग्राम पाहनबर्री और मरोड़ा का दौरान किया। ग्रामीणों से चर्चा की गई। सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8 सितंबर 2016 को तवा किनारे पिंचिंग बनाने की घोषणा की थी। तवा बांध से पानी छोडऩे पर पाहनवर्री व मरोड़ा सहित आसपास के क्षेत्रों में पानी भरा जाता है । इससे खेतों में लगी फसलों को भी नुकसान होता है। बिलखेड़ी, पाहनवर्री टोला, मरोड़ा में पिचिंग निर्माण बहुत जरूरी है।
टीम को परमहंस घाट का निरीक्षण कराया है। नर्मदा के कटाव दिखाए गए हैं। तवा नदी की पूरी जानकारी नक्शे पर समर्झाई है। गांवों का दौरा भी कराया जा रहा है। विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर योजना बनाई जाएगी।