दिल्ली विधानसभा चुनाव: चुनाव आयोग की सख्ती, करोड़ों का कैश और शराब जब्त

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की कड़ी नजरें हैं, और इस बार तो कुछ ज्यादा ही सख्ती देखने को मिल रही है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, वैसे-वैसे आचार संहिता की धज्जियाँ उड़ाने की कोशिशें भी तेज हो रही हैं। 7 जनवरी को आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू होते ही चुनाव आयोग ने कार्रवाई शुरू कर दी, और पहले ही सप्ताह में करोड़ों रुपए की नकदी, शराब और अन्य संदिग्ध सामान जब्त किए गए हैं। यह सब तब हो रहा है जब वोटिंग 5 फरवरी को होनी है और नामांकन की प्रक्रिया तो अभी शुरू भी नहीं हुई है। तो, आइए जानते हैं चुनाव आयोग की इन कार्रवाइयों के बारे में और क्या इसका असर चुनावी प्रक्रिया पर पड़ेगा।

चुनावी माहौल में गड़बड़ी की शुरुआत

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं और आचार संहिता लागू होने के बाद से चुनाव आयोग ने पूरी ताकत से कार्यवाही शुरू कर दी है। 7 जनवरी को आचार संहिता लागू होने के बाद से ही आयोग ने विभिन्न जगहों पर छापेमारी की है, जिससे यह साबित होता है कि चुनावी खेल शुरू हो चुका है। अभी तक 21.89 करोड़ रुपये से अधिक की वस्तुएं जब्त की जा चुकी हैं। सबसे ज्यादा करीब 6.83 करोड़ रुपये का सामान पूर्वी दिल्ली से जब्त हुआ है।

इसके अलावा, जिला स्तर पर कुल 9.8 करोड़ रुपये की नकदी, 6.1 करोड़ रुपये के गहने और कीमती धातुएं, 5.05 करोड़ रुपये का ड्रग्स, 47 लाख रुपये से ज्यादा के मुफ्त सामान और 45 लाख रुपये से ज्यादा की शराब जब्त की गई है। इन आंकड़ों से साफ है कि चुनावी माहौल में गड़बड़ी हो रही है और चुनाव आयोग ने त्वरित कार्रवाई की है।

जब्त किए गए सामान का क्या होगा?

चुनाव आयोग ने जब्त किए गए सामान के बारे में भी कुछ स्पष्टता दी है। अगर इन वस्तुओं के पास वैध दस्तावेज होंगे, तो इन्हें अदालत के आदेश पर वापस किया जा सकता है। लेकिन जिनके पास कोई वैध दस्तावेज नहीं होते, उन्हें स्थायी रूप से जब्त कर लिया जाएगा। इसके साथ ही, यदि गाड़ियों का अवैध उपयोग चुनावी कामों के लिए किया गया हो, तो उन्हें भी जब्त कर लिया जाएगा। चुनाव के बाद, जब्त की गई नकदी और अन्य अवैध चीजें सरकारी खजाने में जमा कर दी जाती हैं, जबकि अवैध शराब और फर्जी वोटर आईडी कार्ड नष्ट कर दिए जाते हैं।

चुनाव आयोग के मुताबिक, बाकी वस्तुएं, जो कानूनी रूप से सही पाई जाएं, उन्हें संबंधित विभागों को सौंप दिया जाएगा, ताकि उनका उपयोग सार्वजनिक भलाई के लिए किया जा सके। यह कदम पारदर्शिता बनाए रखने के लिए उठाया गया है ताकि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो और कोई पार्टी या उम्मीदवार किसी भी प्रकार से चुनावी लाभ उठाने की कोशिश न कर सके।

चुनावी तैयारी और चुनाव आयोग की रणनीतियां

दिल्ली के चीफ इलेक्शन ऑफिसर एलिस वाज ने बताया कि चुनाव की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। मतदान अधिकारियों की ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है और नामांकन प्रक्रिया के लिए भी सारे इंतजाम किए जा रहे हैं। इस बार आयोग का खास ध्यान उन मतदान केंद्रों पर रहेगा जहां पहले कम मतदान हुआ था। इन केंद्रों पर ज्यादा से ज्यादा मतदान को बढ़ावा देने के लिए नई रणनीतियां बनाई जा रही हैं।

इसके अलावा, चुनाव आयोग ने परमिशन और एनफोर्समेंट टीम भी सक्रिय कर दी है, ताकि चुनावी प्रक्रिया में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो और निष्पक्ष चुनाव हो सके। आयोग की इस रणनीति से यह साफ होता है कि वे इस बार पारदर्शिता बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाले हैं।

क्या चुनावी माहौल में बदलाव होगा?

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही चुनावी माहौल गर्म हो गया है। लेकिन इस बार जब्ती के आंकड़े यह दिखा रहे हैं कि चुनावी मौसम पहले से ही गर्म हो चुका है। राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों पर कड़ी नजर रखी जा रही है, ताकि किसी भी प्रकार से वोट खरीदने या अवैध तरीके से चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश न हो।

इससे पहले भी चुनाव आयोग ने कई बार ऐसे मामलों में कार्रवाई की है, जहां अवैध तरीके से वोटों की खरीद-फरोख्त या चुनाव प्रचार में गड़बड़ी सामने आई थी। इस बार भी चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि वे किसी भी प्रकार की अनैतिक गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे और इस बार सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

चुनाव आयोग की सख्ती और जनता की उम्मीदें

चुनाव आयोग का मानना है कि इस तरह की छापेमारी और जब्ती से चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहती है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर जनता का विश्वास मजबूत होता है। हालांकि, कुछ सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या इतनी सख्ती के बावजूद चुनावी प्रलोभन और गड़बड़ी पूरी तरह से रुक पाएगी या नहीं।

दिल्ली में चुनावी माहौल में और अधिक कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है, ताकि किसी भी पार्टी या उम्मीदवार को अनैतिक तरीके से चुनावी लाभ न मिल सके। चुनाव आयोग का कहना है कि वे इस बार और भी चौकस रहेंगे ताकि दिल्ली के चुनाव निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी हो सकें।

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