दिल्ली की 30 दलित बहुल सीटों पर बीजेपी की बड़ी रणनीति, जीत के लिए तैयार किया खास प्लान

दिल्ली विधानसभा चुनावों में दलित मतदाताओं की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है और अब बीजेपी ने आगामी चुनावों के लिए इन सीटों पर खास रणनीति बनाई है। दिल्ली की 30 विधानसभा सीटें दलित बहुल हैं और बीजेपी इन सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। पार्टी ने गहन जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है, जिसके तहत विभिन्न दलित समुदायों से जुड़ी समस्याओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
2015 और 2020 चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन
दिल्ली के पिछले विधानसभा चुनावों में, विशेषकर 2015 और 2020 में, बीजेपी दलितों के लिए आरक्षित 12 सीटों में से एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हो पाई थी। यह स्थिति पार्टी के लिए निराशाजनक थी, लेकिन अब पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। अब बीजेपी की योजना है कि इन सीटों पर दलित मतदाताओं के बीच अपनी स्थिति को मजबूत किया जाए।
कहां-कहां हैं ये दलित बहुल सीटें?
दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं, जिनमें से 12 सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं। इन 12 सीटों के अलावा, दिल्ली में अन्य 18 सीटें भी ऐसी हैं, जहां दलित मतदाताओं का प्रभाव 25 प्रतिशत तक हो सकता है। इनमें आदर्श नगर, शाहदरा, तुगलकाबाद, राजेंद्र नगर, चांदनी चौक, और बिजवासन जैसी सीटें शामिल हैं। इन सभी 30 सीटों पर बीजेपी ने जनसंपर्क अभियान को तेज किया है, ताकि आगामी चुनाव में इन सीटों पर जीत हासिल की जा सके।
जनसंपर्क अभियान: बीजेपी ने क्या कदम उठाए हैं?
बीजेपी नेताओं का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से इन 30 सीटों पर गहन जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत पार्टी ने झुग्गियों और अनधिकृत कॉलोनियों में व्यापक संपर्क किया है, जहां दलित समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। इसके साथ ही, बीजेपी ने इन इलाकों में आम आदमी पार्टी (AAP) के खिलाफ हमलावर रुख अपनाया है, और पार्टी के खिलाफ लगातार आरोप लगाए हैं कि उन्होंने झुग्गियों के मुद्दे पर कुछ नहीं किया।
महोबन लाल गिहारा का बयान
दिल्ली भाजपा एससी मोर्चा के अध्यक्ष मोहन लाल गिहारा ने बताया कि इन 30 सीटों पर पार्टी ने वरिष्ठ एससी कार्यकर्ताओं को विस्तारक के रूप में नियुक्त किया है। हर मतदान केंद्र पर 10 दलित युवाओं को तैनात किया गया है ताकि वे बूथ स्तर पर बीजेपी के पक्ष में काम कर सकें। पार्टी ने लगभग 5,600 मतदान केंद्रों की पहचान की है और 1,900 विशेष केंद्रों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
सभी मुद्दों को उठाएगी बीजेपी
बीजेपी नेताओं का कहना है कि दिल्ली में पिछले 10 वर्षों में आम आदमी पार्टी की सरकार की जो विफलताएं रही हैं, उन्हें जनता के सामने रखा जाएगा। पार्टी ने 18,000 से ज्यादा सक्रिय कार्यकर्ताओं को तैनात किया है, जो जनता के बीच जाकर पार्टी के दृष्टिकोण को पेश करेंगे और मोदी सरकार की सफलताओं को उजागर करेंगे।
दलित नेताओं का शामिल होना
बीजेपी ने दलित समुदाय को जोड़ने के लिए 55 प्रमुख दलित नेताओं को अपने अभियान में शामिल किया है। इनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद शामिल हैं। इन नेताओं ने दलित बहुल इलाकों में कई बैठकें आयोजित की हैं और बीजेपी के पक्ष में समर्थन जुटाने की कोशिश की है। अब तक पार्टी की ओर से 15 बड़े सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें हर सम्मेलन में एक वरिष्ठ नेता मौजूद रहे हैं, जिन्होंने पार्टी की नीतियों और योजनाओं के बारे में बताया।
क्या है बीजेपी की रणनीति?
बीजेपी की रणनीति को लेकर पार्टी नेताओं का कहना है कि उन्होंने तीन प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया है। पहला, दलितों के लिए किए गए कामों को जनता तक पहुंचाना, जैसे कि सरकार द्वारा किए गए विभिन्न योजनाओं का लाभ, दूसरा, आम आदमी पार्टी की नीतियों और उनकी विफलताओं को उजागर करना, और तीसरा, मोदी सरकार के द्वारा किए गए विकास कार्यों को दलित समुदाय के बीच प्रचारित करना।
क्या बदलाव आएगा बीजेपी की रणनीति से?
बीजेपी की इस रणनीति का उद्देश्य 2020 के विधानसभा चुनाव के परिणामों से सबक लेना है और इस बार दलित मतदाताओं में अपनी पैठ बढ़ाना है। पार्टी का मानना है कि इन 30 सीटों पर जनसंपर्क और बढ़े हुए समर्थन से उसका प्रदर्शन बेहतर होगा और वह अपनी खोई हुई जमीन वापस हासिल कर सकेगी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में दलित मतदाता की भूमिका
दिल्ली में दलित मतदाता की संख्या 17 से लेकर 45 प्रतिशत तक है, जिससे यह समुदाय विधानसभा चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाता है। बीजेपी इस समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, ताकि आगामी चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित की जा सके।

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