दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी मतदान केंद्रों पर वोटिंग का दौर जारी है। इस बीच, आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि चिराग दिल्ली के एक पोलिंग बूथ पर कुछ EVM मशीनें अंधेरे में रखी गई थीं, जो कि चुनाव आयोग के निर्धारित नियमों के खिलाफ है। सौरभ ने यह भी आरोप लगाया कि इस तरह की लापरवाही से चुनाव की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर असर पड़ सकता है। आइए, जानते हैं कि चुनाव प्रक्रिया में EVM को लेकर क्या सख्त नियम होते हैं और सुरक्षा का ख्याल क्यों रखा जाता है।
AAP नेता का आरोप: EVM को अंधेरे में रखना गलत
AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने चिराग दिल्ली में मतदान के दौरान EVM की सुरक्षा को लेकर आपत्ति जताई। सौरभ का कहना था कि किसी भी पोलिंग बूथ पर EVM मशीनों को अंधेरे में रखना गलत है। “EVM को हमेशा छांव में रखना चाहिए, लेकिन जो मैंने देखा वह बिल्कुल ठीक नहीं था। पोलिंग बूथ पर 5-6 कमरे ऐसे थे, जहां लाइट बंद थी और मशीनें अंधेरे में रखी गई थीं। यह चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।”
सौरभ ने यह भी कहा कि इस तरह की लापरवाही से चुनाव की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं। उनका कहना था कि EVM की सुरक्षा पर हमेशा कड़ी नजर रखी जाती है, और यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि हर कदम पर नियमों का पालन हो। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि उन इलाकों में पुलिस ने बैरिकेडिंग की है, जहां AAP का दबदबा है, जिससे मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचने में परेशानी हो रही है।
EVM को रखने के नियम: चुनाव से पहले, मतदान के दिन और बाद
भारत में चुनाव आयोग (ECI) EVM की सुरक्षा के लिए बहुत सख्त नियम बनाता है। इन नियमों का पालन करना सुनिश्चित करता है कि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और सुरक्षित रहे। आइए, जानते हैं EVM की सुरक्षा से जुड़े मुख्य नियम:
1. चुनाव से पहले: EVM की सुरक्षा व्यवस्था
चुनाव से पहले, सभी EVM मशीनों को सुरक्षित गोदामों में रखा जाता है। इन गोदामों में CCTV कैमरे, सुरक्षा बल और सील बंद सुरक्षा व्यवस्था होती है। इसके साथ ही, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी इन गोदामों का निरीक्षण करने की अनुमति होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि EVM मशीनों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई हो।
इसके बाद, EVM का “फर्स्ट लेवल चेक” (FLC) किया जाता है, जिसमें मशीनों की टेस्टिंग की जाती है। मॉक टेस्टिंग के बाद ही इन मशीनों को चुनाव में इस्तेमाल के लिए तैयार किया जाता है। इस दौरान पार्टी के एजेंट भी मौजूद रहते हैं, ताकि चुनाव में पारदर्शिता बनी रहे।
2. मतदान के दिन: EVM की सुरक्षा और मॉक पोल
जब मतदान शुरू होता है, तो EVM मशीनों को सुरक्षा बलों के साथ पोलिंग बूथ तक पहुंचाया जाता है। मतदान से पहले, एक मॉक पोल (Mock Poll) किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि EVM सही तरीके से काम कर रही है। सभी पोलिंग एजेंट्स इस टेस्ट को चेक करते हैं और जब वे संतुष्ट हो जाते हैं, तब ही मतदान की प्रक्रिया शुरू होती है।
इसके बाद, मतदान शुरू होने से पहले, EVM मशीनों को सील कर दिया जाता है। इस सीलिंग प्रक्रिया में उम्मीदवारों के एजेंट भी मौजूद रहते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी मशीन के साथ छेड़छाड़ नहीं हुई है।
3. मतदान के बाद: सुरक्षित स्टोरेज
मतदान के बाद, EVM मशीनों को सील करके स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर CCTV कैमरे और सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं, ताकि कोई भी अप्रत्याशित घटना न हो। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी इन रूम्स की निगरानी करने की अनुमति होती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि EVM में कोई गड़बड़ी नहीं हो।
4. EVM खोलने के नियम: गिनती के दिन
EVM को केवल गिनती के दिन खोला जाता है। इस दिन सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वोटों की गिनती निष्पक्ष तरीके से हो रही है। गिनती के दौरान, हर कदम की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सभी दलों के प्रतिनिधियों को मौके पर बुलाया जाता है।
5. चुनाव के बाद: EVM का स्टोरेज और डिस्पोजल
गिनती के बाद, EVM को 45 दिन तक सुरक्षित रखा जाता है। यदि किसी उम्मीदवार ने चुनाव परिणाम को कोर्ट में चुनौती दी है, तो EVM को कोर्ट के निर्णय आने तक सुरक्षित रखा जाता है। इसके बाद, पुराने मॉडल्स की EVM को निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार नष्ट कर दिया जाता है।
EVM की सुरक्षा पर उठे सवालों का महत्व
EVM की सुरक्षा पर सवाल उठाना नया नहीं है। चुनावों के दौरान, राजनीतिक दलों और उनके समर्थक अक्सर EVM की सुरक्षा और निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं। हालांकि, भारत निर्वाचन आयोग ने इन समस्याओं को गंभीरता से लिया है और चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए तमाम नियम और व्यवस्था की है।
EVM की सुरक्षा और सही रखरखाव से चुनावों में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होती है। अगर कहीं भी गड़बड़ी या छेड़छाड़ का संदेह होता है, तो उसे तुरंत ठीक किया जाता है। यह चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है।