दिल्ली के सियासी दंगल में अगर सबसे ज्यादा चर्चा किसी के बीच हो रही है तो वह हैं कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP). लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में इन तीन दलों के अलावा और भी बहुत सी पार्टियां अपनी ताकत दिखाती हैं, जो कई बार बड़े दलों का खेल खराब कर देती हैं? 70 विधानसभा सीटों वाले दिल्ली में अब तक 90 से भी ज्यादा दल चुनावी मैदान में उतरे हैं। इनमें से पांच ऐसी पार्टियां हैं, जो खासकर सत्ता की दिशा बदलने में अहम भूमिका निभाती हैं।
चुनावी मैदान में कुल कितनी पार्टियां?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में 2020 में करीब 95 राजनीतिक पार्टियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। इन पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस, BSP, CPM, CPI और NCP जैसी राष्ट्रीय पार्टियां शामिल थीं। वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP), जो पहले एक क्षेत्रीय पार्टी थी, अब राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी है। इसके अलावा, बिहार की राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल यूनाइटेड (JDU), लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), यूपी की राष्ट्रीय लोक दल (RLD) और महाराष्ट्र की शिवसेना भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाग ले चुकी हैं।
इसके अलावा, दिल्ली चुनाव में उतरीं 82 रजिस्टर्ड पार्टियों में भारतीय लोकसेवक पार्टी, मजदूर एकता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय दल प्रमुख हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 2015 के मुकाबले 2020 में रजिस्टर्ड पार्टियों की संख्या काफी ज्यादा थी, जब लगभग 50 रजिस्टर्ड पार्टियों ने चुनाव लड़ा था।
3 पार्टी का मुकाबला: AAP, BJP, और कांग्रेस के बीच
दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुकाबला आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी के बीच होता है। आम आदमी पार्टी पिछले 10 साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में, AAP ने 2015 में 67 सीटों और 2020 में 62 सीटों पर जीत हासिल की थी। यह चुनावी इतिहास में उनके लिए शानदार जीत रही। वहीं, बीजेपी भी दिल्ली में एक महत्वपूर्ण विपक्षी दल बनकर उभरी है, भले ही वे 2015 और 2020 में सत्ता नहीं हासिल कर पाए, लेकिन वह हर चुनाव में दो अंकों में सीटें जीतने में सफल रही है।
कांग्रेस, जो दिल्ली में 1998 से 2013 तक सत्ता में रही, ने 2020 में मात्र 4 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। हालांकि, कांग्रेस की स्थिति अब भी ग्राउंड लेवल पर मजबूत है। इसलिए पार्टी बड़े चेहरे उतार कर दिल्ली के चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है।
5 पार्टियां जो बिगाड़ सकती हैं खेल
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कई छोटी पार्टियां भी सियासी खेल को गड़बड़ कर देती हैं। इनमें से बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख है। BSP ने 2008 में 2 सीटों पर जीत हासिल की थी और 15 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे। 2013 में इसने 5 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। BSP अब भी दलित बहुल सीटों पर मजबूत स्थिति में है, जहां 12 सीटें रिजर्व हैं। दिल्ली में दलितों की आबादी करीब 17 प्रतिशत है। इन सीटों पर BSP का असर प्रमुख रहता है, और कई बार इसका असर बीजेपी या कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बनता है।
इसी तरह, शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal, SAD) भी दिल्ली में सिख मतदाताओं के बीच प्रभावी है। 2015 में SAD ने 2 सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया था और कई सिख बहुल सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। दिल्ली में सिख मतदाताओं की संख्या लगभग 4 प्रतिशत है और यह दल चुनाव में एक अहम खिलाड़ी बन सकता है।
बिहार की राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल यूनाइटेड (JDU) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) भी दिल्ली की सियासत में प्रभावी भूमिका निभाती रही हैं। 2020 में इन तीनों पार्टियों ने कुल मिलाकर करीब 2 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। इसके बावजूद इन पार्टियों का चुनावी मैदान में बने रहना बड़ी पार्टियों के लिए सिरदर्द बन सकता है, क्योंकि छोटे दल बड़े दलों के वोट बैंक को प्रभावित कर सकते हैं।
इन पार्टियों का असर चुनाव पर
दिल्ली में चुनावी समीकरण बदलने में ये छोटी और क्षेत्रीय पार्टियां अहम भूमिका निभाती हैं। जैसे 2020 में बीजेपी के उम्मीदवार बदरपुर सीट पर केवल 3719 वोटों से जीत सके थे, जबकि बहुजन समाज पार्टी (BSP) को इस सीट पर 10,000 से ज्यादा वोट मिले थे। BSP के इन वोटों ने बीजेपी की जीत पर असर डाला था। इसी तरह, सुल्तानपुर माजरा सीट पर भी BSP के वोटों की वजह से कांग्रेस को जीत मिली थी।
जेडीयू, LJP और आरजेडी जैसे दल भी दिल्ली चुनावी राजनीति को प्रभावित करने में सक्रिय रहते हैं। चाहे ये दल दिल्ली में कभी सत्ता में न आए हों, लेकिन इनकी मौजूदगी चुनावी नतीजों को प्रभावित करती है। हर बार, इन दलों के वोट प्रतिशत का दिल्ली की राजनीति पर असर पड़ता है।