दिल्ली शराब घोटाले मामले में दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मनीष सिसोदिया को मंगलवार को जमानत देने से इनकार कर दिया। इस मामले की जांच जांच सीबीआई कर रही है। ईडी जांच मामले में भी सोमवार को मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका में हाईकोर्ट से निराशा मिली।
अब मनीष सिसोदिया के सामने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा ही खुला है। अब मनीष सिसोदिया सुप्रीम कोर्ट में बेल याचिका दाखिल कर सकते हैं। जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहाकि मनीष सिसोदिया के खिलाफ आरोप बेहद गंभीर हैं। जमानत देने पर गवाहों को प्रभावित किए जाने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है। इस दौरान उनका व्यवहार भी सही नहीं रहा।
जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने AAP नेता मनीष सिसोदियो को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि उनके खिलाफ लगे आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं। सिसोदिया एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनके जमानत पर रिहा होने पर गवाहों को प्रभावित किए जाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
बेल मामले में निचली अदालत के फैसले को मनीष सिसोदिया ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध किया था। जिसके बाद हाई कोर्ट ने 11 मई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 रद्द हो गई है। इस मामले मनीष सिसोदिया से कई दौर की बातचीत के बाद सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया। निचली अदालत के 31 मार्च के आदेश सिसोदिया ने हाईकोर्ट को चुनौती दी थी।
निचली अदालत ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि सिसोदिया इस मामले में आपराधिक साजिश के प्रथमदृष्टया सूत्रधार थे। और उन्होंने दिल्ली सरकार में रहते हुए और अपने सहयोगियों के लिए लगभग 90-100 करोड़ रुपए की अग्रिम रिश्वत के कथित भुगतान से संबंधित आपराधिक साजिश में सबसे महत्वपूर्ण व प्रमुख भूमिका निभाई। सिसोदिया इस मामले से जुड़े धन शोधन के मामले में भी हिरासत में हैं।