नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान में तनाव की स्थिति के बीच कांग्रेस को दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) ने हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश के बाद कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए 2 हफ्ते का समय की मांग की थी जिसे बेंच ने खारिज कर दिया. दिल्ली हाईकोर्ट ने 56 साल पुराने हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया है. हालांकि हाईकोर्ट ने ये नहीं बताया है कि हेराल्ड हाउस को कब तक खाली करना होगा.
बता दें कि 19 फरवरी, 2019 को दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रकाशक एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलील सुनने के बाद इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इसके अलावा दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों वरिष्ठ अधिवक्ताओं से भी अपना-अपना लिखित जवाब तीन दिनों के भीतर कोर्ट में दाखिल करने का समय दिया था. एजेएल ने हेराल्ड हाउस खाली करने के पिछले साल 21 दिसंबर के सिंगल बेंच के फैसले को डबल बेंच के सामने चुनौती दी थी.
सिंगल बेंच ने खाली करने का आदेश दिया
इससे पहले हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 21 दिसंबर को एजेएल की याचिका खारिज करते हुए नेशनल हेराल्ड की बिल्डिंग खाली करने आदेश दिया था. कोर्ट ने इसके लिए दो सप्ताह तक समय दिया था. दरअसल एजेएल ने केंद्र सरकार के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें 56 साल पुरानी लीज खत्म करने का आदेश दिया गया था.
केंद्र सरकार का तर्क था कि दस साल से इस परिसर में कोई भी प्रेस संचालित नहीं हो रहा है और इसका उपयोग व्यापारिक उदेश्य के लिए किया जा रहा है जोकि लीज कानून का उल्लंघन है. इस मामले में हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. बता दें कि नेशनल हेराल्ड अखबार का मालिकाना हक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के नाम पर है और यह बिल्डिंग करोड़ों की है.
क्या है नेशनल हेराल्ड
नेशनल हेराल्ड भी उन अखबारों की श्रेणी में है, जिसकी बुनियाद आजादी के पूर्व पड़ी. हेराल्ड दिल्ली एवं लखनऊ से प्रकाशित होने वाला अंग्रेजी अखबार था. 1938 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड अखबार की नींव रखी थी। इंदिरा गांधी के समय जब कांग्रेस में विभाजन हुआ तो इसका स्वामित्व इंदिरा कांग्रेस आई को मिला. नेशनल हेराल्ड को कांग्रेस का मुखपत्र माना जाता है. आर्थिक हालात के चलते 2008 में इसका प्रकाशन बंद हो गया।त्र. उस वक्त वह कांग्रेस की नीतियों के प्रचार प्रसार का मुख्य स्रोत था.