दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने दिल्ली महिला आयोग में काम कर रहे 223 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है. आरोप हैं कि दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं स्वाति मालीवाल ने इन लोगों को गलत तरीके से नौकरी दी थी. इससे पहले, उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के कई कंसल्टेंट को भी बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को सरकारी विभागों में सेट कर दिया था.
दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश के मुताबिक, इन सभी कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है. आरोप हैं कि स्वाति मालीवाल ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष के पद पर रहते हुए बिना अनुमति लिए इन लोगों की नियुक्ति नियमों के खिलाफ जाकर की थी. राज्यसभा चुनाव में उतरने से पहले स्वाति मालीवाल ने महिला आयोग के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था. अब वह आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सदस्य हैं और इन दिनों दिल्ली में पार्टी के प्रचार में व्यस्त हैं.
पहले भी हुआ था एक्शन
इससे पहले, जून-जुलाई 2023 में दिल्ली के उपराज्यपाल ने अलग-अलग विभागों में विशेषज्ञ के तौर पर नियुक्त किए गए लगभग 400 लोगों की सेवाएं समाप्त कर दी थीं. इनमें कई ऐसे लोग भी थे जो मंत्रियों के साथ उनके सलाहकार के तौर पर काम करते आ रहे थे. इन लोगों को सरकार की ओर से मोटी सैलरी के साथ-साथ बड़े अधिकारियों की तरह गाड़ी और अन्य सुविधाएं भी दी जा रही थीं.
दिल्ली सरकार ने बाकायदा विज्ञापन निकालकर फेलो, असोसिएट फेलो, स्पेशलिस्ट, अडवाइजर, डिप्टी अडवाइजर , कंसल्टेंट और सीनियर रिसर्च ऑफिसर जैसे पदों पर सैकड़ों लोगों को नियुक्त किया था. एलजी ऑफिस ने इन लोगों को हटाते हुए कहा था कि इनकी योग्यता को लेकर गड़बड़ियां पाई गईं और बिना एलजी की अनुमति लिए ही इन्हें नियुक्त कर दिया गया. साथ ही, इनकी नियुक्ति में आरक्षण की नीति का भी पालन नहीं किया गया.