क्या जेल से सरकार चला पाएंगे केजरीवाल? जानें क्या है नियम

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार कर लिया है. उनकी गिरफ्तारी के दौरान सीएम आवास पर काफी हंगामा भी हुआ. केजरीवाल के आवास पर दो मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज समेत भारी संख्या में समर्थक पहुंचे. हालांकि पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स भी तैनात रहीं. इस दौरान केजरीवाल के मंत्रियों ने कहा है कि वे सीएम के पद से इस्तीफा नहीं देंगे, बल्कि जेल से ही सरकार चलाएंगे.

ऐसे में सवाल उठता है कि एक सीएम की किन परिस्थितियों में गिरफ्तारी हो सकती है? क्या गिरफ्तारी से पहले सीएम को इस्तीफा देना पड़ता है? क्या एक सीएम जेल में रहते हुए सरकार को चला सकता है यानी जेल में रहते हुए (बिना कोर्ट की अनुमति) किसी सरकारी दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर सकता है?

क्या होते हैं सिविल और क्रिमिनल केस?

दिल्ली के लिए अरविंद केजरीवाल को एक क्रिमिनल केस के तहत गिरफ्तार किया गया है. अब बात आती है कि एक सीएम को गिरफ्तार किया जा सकता है या फिर नहीं? इसके लिए आपको दो बातों को जानना बेहद जरूरी है. केस दो प्रकार के होते हैं. एक सिविल केस और दूसरा क्रिमिनल केस. सिविल केस संपत्ति, पैसा या फिर अधिकारी मामलों में दर्ज होते हैं. इस मामलों में कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर की धारा 135 (ए) के तहत पीएम, सीएम, केंद्रीय मंत्री, सांसद (लोकसभा-राज्यसभा) आदि को गिरफ्तारी से छूट मिलती है, लेकिन क्रिमिनल केस में इनकी गिरफ्तारी हो सकती है. ये केस गंभीर धाराओं में दर्ज किए जाते हैं.

मंत्री आतिशी ने किया है बड़ा ऐलान

कुछ समय पहले झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार किया था. उनके खिलाफ कथिर तौर पर जमीन घोटाले में धनशोधन का आरोप था. गिरफ्तारी से पहले उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया था. हालांकि दिल्ली की मंत्री आतिशी मार्लेना ने कहा है कि केजरीवाल सीएम के पद से इस्तीफा नहीं देंगे, बल्कि जेल में रहकर सरकार चलाएंगे. एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि लोक प्रतिनिधि अधिनियम 1951 के तहत इस बात का जिक्र नहीं है कि गिरफ्तारी या जेल जाने पर किसी भी नेता को अपने पद से इस्तीफा देना पड़े. वो जेल से भी अपना काम कर सकता है.

क्या है जेल में रहने के दौरान का नियम?

हालांकि मीडिया रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जेल के भीतर से सरकार चलाने का कोई प्रावधान नहीं है. अगर कोर्ट से इजाजत ली जाए तो एक को ये संभव है. अगर कोर्ट भी इस अपील को रद्द कर देती है तो फिर कोई चारा नहीं है. इसके साथ ही नियम ये भी है कि जेल में रहते हुए कोई सीएम किसी सरकारी दस्तावेज पर साइन भी नहीं कर सकता है. बिना अनुमति के अगर वो ऐसा करता है तो वो साइन अवैध माना जाएगा. यानी पूरी कहानी घूम फिर कर कोर्ट के आदेश यानी इजाजत पर आकर टिक जाती है.

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles