2025 में दिल्ली से यूपी और महाराष्ट्र तक: कांग्रेस और बीजेपी में बड़े बदलाव की उम्मीद
2025 का साल भारतीय राजनीति के लिहाज से बेहद अहम होने जा रहा है, खासकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख पार्टियों के लिए। इन दोनों ही पार्टियों के संगठन में बड़े बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है, जो आगामी चुनावों पर गहरा असर डाल सकते हैं। बीजेपी के संगठन में बदलाव से लेकर, राज्य स्तर पर नए अध्यक्षों की नियुक्ति तक कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकते हैं।
बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व में बदलाव
बीजेपी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कई सालों तक पार्टी के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला है। हालांकि, कहा जा रहा है कि 2025 में केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद नड्डा अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में, पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने की संभावना है। खबरों के मुताबिक, बीजेपी जनवरी 2025 के बाद नए अध्यक्ष का चुनाव कर सकती है। इसके अलावा, संगठन महासचिव बीएल संतोष का कार्यकाल भी इस साल खत्म हो सकता है। पिछले पांच सालों से महासचिव पद पर कार्यरत संतोष के बाद पार्टी नए महासचिव की नियुक्ति कर सकती है।
राज्य स्तर पर भी हो सकते हैं बदलाव
बीजेपी के संगठन में बदलाव सिर्फ राष्ट्रीय स्तर तक सीमित नहीं रहेंगे। पार्टी को कई राज्यों में भी नए अध्यक्षों की नियुक्ति करने की जरूरत महसूस हो रही है। झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख राज्यों में नए अध्यक्षों का चयन किया जा सकता है।
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झारखंड: विधानसभा चुनाव में हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी ने इस्तीफा दे दिया था, और पार्टी नए अध्यक्ष की तलाश कर रही है।
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महाराष्ट्र: चंद्रशेखर बावनकुले मंत्री बन चुके हैं, जबकि मुंबई प्रदेश अध्यक्ष आशीष शेलार भी फडणवीस कैबिनेट में शामिल हो गए हैं। इनके बाद नए अध्यक्ष की नियुक्ति हो सकती है।
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गुजरात: गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल भी केंद्र सरकार में मंत्री हैं, तो उनकी जगह नए अध्यक्ष की नियुक्ति संभव है।
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पश्चिम बंगाल: यहां के अध्यक्ष शांतनु ठाकुर केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद अपने पद से हट सकते हैं, जिससे पार्टी नए अध्यक्ष की तलाश करेगी।
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उत्तर प्रदेश: बीजेपी यूपी में भी नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकती है, क्योंकि भूपेंद्र चौधरी ने लोकसभा चुनाव में हार के बाद इस्तीफे का संकेत दिया था।
कांग्रेस में भी हो सकते हैं बड़े बदलाव
कांग्रेस पार्टी में भी 2024 के आम चुनाव के बाद बड़े बदलावों की उम्मीद जताई जा रही है। पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे 2022 के अंत में अध्यक्ष बने थे, लेकिन उसके बाद पार्टी के भीतर बड़े पदों पर कोई बदलाव नहीं हुआ है। 2024 के चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी में कई प्रमुख पदों पर बदलाव हो सकता है। इसके अलावा, कांग्रेस के कई फ्रंटल संगठनों में भी बदलाव की संभावना है।
कांग्रेस के राज्यों में हो सकते हैं बदलाव
कांग्रेस के भीतर राज्य स्तर पर भी कई अहम बदलाव हो सकते हैं। पार्टी को कुछ राज्यों में नए अध्यक्षों की जरूरत महसूस हो रही है, खासकर उन राज्यों में जहां कांग्रेस को हाल में हार का सामना करना पड़ा है। प्रमुख राज्यों में केरल, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र शामिल हैं।
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केरल: यहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, और कांग्रेस पार्टी नई दिशा और नेतृत्व के साथ चुनावी मैदान में उतर सकती है।
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हरियाणा और महाराष्ट्र: इन दोनों राज्यों में कांग्रेस को हाल ही में करारी हार मिली है, जिसके बाद प्रदेश अध्यक्षों ने इस्तीफा दे दिया है। यहां नए अध्यक्ष की नियुक्ति हो सकती है।
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उत्तर प्रदेश और ओडिशा: उत्तर प्रदेश और ओडिशा में कांग्रेस की पूरी इकाई भंग हो चुकी है, जिससे यहां भी नए अध्यक्ष की नियुक्ति की संभावना है।
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राजस्थान: राजस्थान में पार्टी अध्यक्ष गोविंद डोटासरा का कार्यकाल 2025 में खत्म हो सकता है, और यहां भी नए अध्यक्ष की नियुक्ति हो सकती है।
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छत्तीसगढ़: कांग्रेस इस राज्य में भी बदलाव कर सकती है, क्योंकि दीपक बैज के नेतृत्व में पार्टी विधानसभा और लोकसभा चुनाव हार चुकी है।
अन्य पार्टियों में भी हो सकते हैं बदलाव
2025 में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा, दूसरी पार्टियों में भी संगठनात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। विशेष रूप से सीपीएम और आरजेडी जैसी पार्टियों में बदलाव की संभावना जताई जा रही है।
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सीपीएम: सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी के निधन के बाद पार्टी को नए महासचिव की आवश्यकता हो सकती है। यह फैसला अप्रैल 2025 तक लिया जा सकता है।
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आरजेडी: बिहार में आरजेडी भी अपनी पार्टी के नेतृत्व में बदलाव कर सकती है, खासकर अगर 2024 के चुनाव परिणाम उम्मीदों के मुताबिक नहीं आते हैं।
2025 भारत की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष साबित हो सकता है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अपने संगठन में बड़े बदलाव करने की तैयारी में हैं, जो आगामी चुनावों पर गहरा असर डालेंगे। इन बदलावों के बाद इन पार्टियों में बड़े फेरबदल की संभावना कम रहेगी, जो अगले कुछ सालों के लिए इनकी राजनीतिक दिशा तय कर सकते हैं। यह बदलाव न केवल इन पार्टियों के अंदरूनी राजनीति को प्रभावित करेंगे, बल्कि आगामी चुनावों में भी इनका बड़ा असर पड़ेगा।